सोलापुर के उपमहापौर की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस की भूमिका संदिग्ध

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– धोखाधड़ी के मामले में हिरासत में लेने के चंद घंटे में छोड़ा

पिंपरी. धोखाधड़ी के मामले में हिरासत में लिए गए सोलापुर के उपमहापौर की गिरफ्तारी ने पिंपरी- चिंचवड़ की सांगवी पुलिस की भूमिका पर संदेह का दायरा गहरा गया है. उपमहापौर को सोलापुर से हिरासत में लेकर पिंपरी-चिंचवड़ में लाने के बाद चंद घंटे में ही उसे छोड़ दिया गया. सांगवी पुलिस का कहना है कि उसे बुखार और जुकाम शुरू हो गया था इसलिए इलाज के लिए लिखित समझाइश देकर छोड़ा गया है. हालांकि अब ये महाशय न पिंपरी-चिंचवड़ में हैं न सोलापुर में. इससे पुलिस की भूमिका संदिग्ध जान पड़ रही है. बहरहाल पुलिस उपायुक्त को इस मामले की जांच सौंपी गई है.

पिंपरी-चिंचवड़ की सांगवी पुलिस ने एक फ्लैट को जालसाजी के जरिये कइयों को बेचने के मामले में सोलापुर के उपमहापौर राजेश दिलीप काले (30) को हिरासत में लिया था. उसके खिलाफ सिंधु सुभाष चव्हाण निवासी कोंढवा, पुणे ने शिकायत दर्ज कराई है. 2002 में भाजपा के राजेश काले ने पिंपले निलख की औदुंबर सोसाइटी में फ्लैट लिया था. इसे जालसाजी के जरिए उन्होंने कइयों को बेचा. 4 मई 2019 को सांगवी पुलिस थाने में काले के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. पुलिस उपनिरीक्षक रविंद्र पन्हाले, कर्मचारी दत्तात्रय नांगरे, संतोष डामसे की टीम ने शुक्रवार को वीजापुर नाका पुलिस की मदद से काले को हिरासत में लिया.

गायब होने की फैली खबर

शनिवार की शाम तक सांगवी पुलिस काले की गिरफ्तारी की खबर की पुष्टि कर रही थी. मगर उसके बाद काले के गायब होने की खबर फैल गई. काफी देर तक न सांगवी पुलिस न पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस के आला अधिकारी इसके बारे कुछ बता पा रहे थे. आखिरकार बाद में बताया गया कि राजेश काले को बुखार था और उसे काफी छींके आ रही थी. कोरोना के संक्रमण के डर से काले को इलाज के लिए समझाइश पत्र देकर छोड़ दिया गया. हालांकि सांगवी पुलिस का यह कहना अटपटा लग रहा है.

पूरे मामले की जांच करने के आदेश 

अगर काले बीमार था तो उसे अस्पताल ले जाती, यूं छोड़ देने की भूमिका संदिग्ध लग रही है. पिंपरी- चिंचवड़ के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रामनाथ पोकले ने कहा कि पुलिस उपायुक्त विनायक ढाकणे को इस पूरे मामले की जांच करने के आदेश दिए गए हैं.