मौजूदा दौर में महात्मा गांधी के विचार प्रेरणादायी

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पुणे. वर्तमान दौर में प्रकृति ने मानव को वायरस बना दिया है और मानव जाति का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. इस स्थिति के लिये मानव ही जिम्मेदार है. कोरोना महामारी उसी का का नतीजा है. इसलिए मानवजाति की रक्षा के लिए आज के दौर में पर्यावरण संवर्धन और गांधी के विचारो का आचरण आवश्यक है यह प्रतिपादन गांधीवादी नेता डॉ. कुमार सप्तर्षि ने किया.

सूर्यदत्ता ग्लोबल पीस रिसर्च फॉउंडेशन की स्थापना 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के उपलक्ष्य में सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट ने सूर्यदत्ता ग्लोबल पीस रिसर्च फॉउंडेशन की स्थापना की और इस फॉऊंडेशन द्वारा प्रदान किया जानेवाला पहला ‘सूर्यदत्ता गांधियन फिलॉसॉफी अवार्ड 2020’ योगाचार्य डॉ. संप्रसाद विनोद के हाथों डा. कुमार सप्तश्री को प्रदान किया गया. कोरोना के कारण यह पुरस्कार समारोह डॉ. सप्तर्षि के निवास पर हुआ. इस अवसर पर डॉ. उर्मिला सप्तश्री, सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट के संस्थापक-अध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय चोरडिया, सलाहकर सचिन इटकर, कार्यकारी निदेशक प्रा. सुनील धाडीवाल, प्रा. अक्षित कुशल, प्रा. रेणुका घोसपुरकर, सिद्धांत चोरडिया, सेवासदन की सीमा दाबके आदि उपस्थित थे.

गांधी  विचार ही हमें सही दिशा दे सकता है

डॉ. कुमार सप्तर्षि ने कहा कि गांधी जी को साक्षात् देखने का मौका उन्हें नहीं मिला, परंतु जयप्रकाश नारायण, एस. एम. जोशी, बालासाहेब भारदे जैसे गुरुओ से गांधी विचार को आत्मसात किया और  उन्हीं के विचारों पर चल रहे हैं. ग्रामीण भाग में रोजगार की संधि निर्माण कर देश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प महात्मा गांधी ने किया था. उन्होंने ‘गांव की ओर चलें’ का संदेश दिया था. लेकिन, आज उसका गलत अर्थ निकाला जा रहा है. आज भी विषमता, अस्पृश्यता, लाचारी जैसी गंभीर समस्या हमारी पीठ पीछे हैं. ऐसे में गांधी विचार ही हमें दिशा दे सकता है.

खादी को प्रोत्साहन देने प्रदर्शनी का आयोजन 

डॉ. संजय चोरडिया ने कहा कि सूर्यदत्ता शिक्षा संस्थान ने गांधी के विचारों को आदर्श मानकर पिछले 2 दशको में यह कड़ी शुरु की है, गांधी के विचार अधिक प्रभावी तरीके से छात्र तक पहुंचे और इन विचारों पर अमल करनेवालों का सम्मान किया जाए, इस उद्देश्य से सूर्यदत्ता रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की गई है. पिछले साल सूर्यदत्ता ने खादी को प्रोत्साहन देने के लिए प्रदर्शन आयोजित किया था. उससे गांधी के विचार को बढ़ावा मिला था.