बिना चर्चा के विधेयक मंजूर क्यों?

  • सर्वदलीय व मजदूर संगठनों के आंदोलन में डॉ. कैलास कदम का सवाल

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पिंपरी. केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली में जारी किसानों के आंदोलन को समर्थन देने पिंपरी चिंचवड़ (Pimpri Chinchwad) शहर के सर्वदलीय नेता और कामगार संगठन संयुक्त कृति समिति की ओर से सोमवार को आकुर्डी के तहसील कार्यालय के सामने आंदोलन किया गया। इसमें कामगार संगठन संयुक्त कृति समिति के अध्यक्ष डॉ. कैलाश कदम ने सवाल उठाया कि किसान व मजदूर विरोधी विधेयक चर्चा बिना क्यों मंजूर किये? यह सवाल आज दिल्ली की सड़कों पर उतरी जनता मोदी सरकार से पूछ रही है।

अभी तक सो रही केन्द्र सरकार

उन्होंने कहा कि दिन-रात एक करोड़ से ज्यादा किसान दिल्ली की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी नाराजगी अभी तक नींद में सो रही केंद्र सरकार के कानों तक नहीं पहुंची है। इस तानाशाही सरकार को इन कानूनों को निरस्त करना ही होगा। तब तक, सभी किसान और मजदूरों की इस लड़ाई को जारी रखने का संकल्प भी इस दौरान किया गया।आकुर्डी स्थित तहसीलदार कार्यालय के सामने प्रदर्शन आंदोलन के बाद आंदोलनकारियों के प्रतिनिधि मंडल ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा।

इनकी रही उपस्थिति

इस मौके पर कृति समिति के समन्वयक मानव कांबले, पूर्व नगरसेवक मारुती भापकर, मजदूर नेता दिलीप पवार, इरफान सय्यद, अनिल रोहम, प्रदीप पवार, विशाल जाधव, संजय गायके, गिरीष वाघमारे, जनार्धन पोलकडे, प्रविण जाधव, सनिच देसाई आदि उपस्थित थे।

आंदोलन के समन्वयक मानव कांबले ने कहा कि स्वतंत्रता-पूर्व काल में, ब्रिटिशों ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए चल रहे संघर्ष को कुचलने के लिए प्रदर्शनकारियों पर अन्याय और अत्याचार किया था। उससे भी क्रूरता से, मोदी सरकार दिल्ली में किसान आंदोलनकारियों के साथ अन्याय कर रही है।

महात्मा गांधी द्वारा बताए गए अहिंसात्मक आंदोलन का मोर्चा अब पूरे देश में फैल रहा है। सरकार को इस आंदोलन को भड़कने से पहले इन दमनकारी कानूनों को निरस्त करना चाहिए। अब किसान जोकि देश के 140 करोड़ लोगों के अन्नदाता हैं, इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं।  देश के अधिकांश लोग इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।