हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष में नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन नाग की पूजा की जाती है नाग को दूध पिलाया जाता है। यह त्यौहार पुरे देश में मनाया जाता है। इस साल यह नागपंचमी का त्यौहार 13 अगस्त को मनाया जायेगा। यह त्यौहार हरियाली तीज के दो दिन पहले पड़ता है। सावन मास में भगवान शिव की पूजा की जाती है और नाग शिव जी के गले में विराजमान रहते है, इसी को ध्यान में रखकर नागपंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है। नाग को भगवान गणेश भी जनेऊ की तरह धारण करते है। नाग की पूजा से लोगों की अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हुई है। लोगों का मानना है कि नाग की पूजा करने के धन की प्राप्ति हो है। लोग संतान सुख के लिए भी नाग पूजा करते है। हिंदू धर्म में सांप को पूजनीय माना गया है।
जानिए मुहूर्त
इस साल शुक्रवार 13 अगस्त को नागपंचमी का त्यौहार मनाया जायेगा। इसकी शुरुआत 12 अगस्त को 3 बजकर 24 मिनट पर हो जाएगी और इसकी समाप्ति दोपहर 13 अगस्त 1 बजकर 42 मिनट पर होगी। पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 49 मिनट से 8 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
अभिषेक सामग्री
नाग पंचमी के दिन पूजा और अभिषेक समाग्री: गाय का घी, दीपक, गंध, पुष्प, कपूर, मौसमी फल, चंदन, धूप, पान का पत्ता, सुपारी, नारियल, भांग, धतूरा, बेल पत्र आदि की व्यवस्थ्या करनी होती है। जिस मनोकामना पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं उससे संबंधित चीजें दूध, दही, शहद, गन्ने का रस, श्रृंगी (गाय के सींग से बना अभिषेक का पात्र) आदि।
नागपंचमी पूजा मन्त्र
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले.
ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः.
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥
मन्त्र अर्थ – इस संसार में, आकाश, स्वर्ग, झीलें, कुएँ, तालाब तथा सूर्य-किरणों में निवास करने वाले सर्प, हमें आशीर्वाद दें तथा हम सभी आपको बारम्बार नमन करते हैं।