covid-19: Elderly people cooking, exercising to remove negativity in old age homes
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नयी दिल्ली. कोरोना वायरस महामारी के दौरान वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्ग नकारात्मक विचारों को दूर रखने के लिए खाना पका रहे हैं, व्यायाम कर रहे हैं और पेड़-पौधों की देखभाल जैसे कामों में समय बिता रहे हैं। कई वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि उन्होंने जीवन में अपने खुद के परिजनों से परेशानियां और बुरे बर्ताव को झेला है, लेकिन कोविड-19 के प्रति अत्यंत संवेदनशील होने के जोखिम से उबरने की कोशिश उनकी जिंदगी का एक और कठिन दौर साबित हो रही है। दुनियाभर में सोमवार को वृद्धजनों से बुरे बर्ताव के खिलाफ जागरुकता का दिवस मनाया जाएगा और इस बीच वृद्धाश्रमों में रहने वाले अनेक बुजुर्ग बता रहे हैं कि किस तरह वे कोरोना वायरस के संकट से निपट रहे हैं।

दिल्ली के ‘मान का तिलक’ वृद्धाश्रम में रहने वाली निर्मला आंटी, जिस नाम से वह अपने साथियों के बीच पहचान रखती हैं, खुद को खाना पकाने में व्यस्त रखती हैं। 65 साल की निर्मला आंटी ने कहा, ‘‘मुझे खाना बनाना पसंद है और मैं रसोई में नियमित रूप से समय बिताती हूं। अगर बहुत गर्मी नहीं पड़ रही हो तो मैं बाहर बगीचे में बैठती हूं और सब्जियां काटने में मदद करती हूं।” उन्होंने कहा, ‘‘व्यस्त रहने से वो सारी नकारात्मक बातें दूर रहती हैं जो कभी-कभी मेरे मन में आ जाती हैं।” वृद्धाश्रम में रहने वाले वरिष्ठ नागरिक सैम खुद को सेहतमंद रखने के लिए कसरत करते हैं। 75 वर्षीय बुजुर्ग ने बताया, ‘‘मैं खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए रोजाना व्यायाम और योग करता हूं। यहां रहने वाले सारे लोग सुबह मेरे साथ योग में शामिल होते हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘हम बाद में कुछ मिनट का ध्यान करते हैं। इससे सब तरोताजा हो जाते हैं।” 71 वर्ष के मदन वृद्धाश्रम की देखभाल करने वाले सहायकों के बच्चों को पढ़ाने में मदद करते हैं और उनके साथ लूडो तथा कैरम जैसे गेम खेलते हैं। गायत्री (₨67) को भजन सुनना पसंद है।

 वह कहती हैं, ‘‘भजनों से मुझे बहुत शांति मिलती है और मन में कोई डर हो तो शांत हो जाता है। मैं किचन गार्डन की भी देखभाल करती हूं। हम यहां बहुत सारी सब्जियां उगाते हैं। मुझे इस बात का बहुत गर्व होता है कि हम जो चीजें उगाते हैं, उनसे खाने की कई सारी चीजें बनाते हैं।” उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक वृद्धाश्रम में रहने वाली शबनम (बदला हुआ नाम) कहती हैं कि उन्होंने बेकरी का काम करना शुरू किया है ताकि मन लगा रहे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इसका बचपन से शौक था। हमारी एक बेकरी थी जिसमें मैं अपनी मां के साथ केक और पेस्ट्री बनाती थी। शादी के बाद मैं यह काम नहीं कर सकी।” 72 साल की शबनम ने कहा कि महामारी के बीच तनाव और बेचैनी रहने के कारण इस वक्त यह काम करना सबसे मुफीद है।

उन्होंने कहा, ‘‘लॉकडाउन के बाद से मेरे बच्चों तक ने मुझसे मुलाकात नहीं की है। इसलिए कोई उम्मीद करना बेकार है। अब मैं यहां रहने वाले दूसरे लोगों के लिए कुकीज और केक बना रही हूं।” उन्होंने कहा, ‘‘अब मुझे जन्मदिन के केक बनाने के ऑर्डर भी मिलने लगे हैं।” 67 साल की फरजाना (बदला हुआ नाम) इस वक्त में अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हर सुबह लहसुन की गांठ खाती हूं और तेज-तेज टहलती हूं। मैं अपने कॉलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए केवल सेहतमंद खाना खाती हूं।” ‘विशिस एंड ब्लेसिंग्स’ एनजीओ तथा ‘मान का तिलक’ वृद्धाश्रम की संस्थापक अध्यक्ष गीतांजलि चोपड़ा ने कहा कि यहां रहने वाले लोगों को उनकी उम्र और स्थिति के कारण वायरस का जोखिम बहुत अधिक है। उन्होंने कहा, ‘‘कई लोग हमारे पास तब आते हैं जब बहुत कमजोर हो जाते हैं। हम नियमित देखभाल और ध्यान देकर उनकी सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की कोशिश करते हैं।”