नयी दिल्ली. तेलंगाना के महबूबाबाद जिले के चिकित्सा अधिकारी डा. मोहम्मद मुकर्रम के लिए मंगलवार का दिन भी माहे रमजान के बाकी दिनों की तरह ही था। वह अपनी ड्यूटी के बाद घर जाने की तैयारी में थे, लेकिन अचानक एक फोन आया और वह सब कुछ भूलकर अपना फर्ज निभाने निकल पड़े। उन्होंने 70 किलोमीटर गाड़ी चलाई और एक महिला और उसकी बच्ची को नयी जिंदगी दी। कोलाराम गांव, तेलंगाना के महबूबाबाद जिले का सुदूरतम गांव है और यहां से सबसे नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी तकरीबन 20 किलोमीटर के फासले पर है। इस गांव में कोया जनजाति की 28 वर्षीय आदिवासी महिला गत्ती मंजुला को मंगलवार शाम को अचानक प्रसव पीड़ा हुई तो गांव में काम करने वाली आशा कार्यकर्ता पद्मा ने जिले के चिकित्सा अधिकारी डा. मोहम्मद मुकर्रम को इसकी सूचना दी।
India needs more such Dr
Dr. Mukram brought the expectant mother in his car and conducted the delivery. Such heroic stories inspire us in these tough moments,”
Telangana doctor drives 60 kms through forest, ensures save delivery of tribal woman – DAANA https://t.co/QQFbOsAMD0— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 16, 2020
डाक्टर मुकर्रम को पता था कि प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र की एकमात्र एंबुलेंस उस समय वहां उपलब्ध नहीं थी और उसका इंतजार करने पर महिला की हालत बिगड़ सकती थी। लिहाजा वह अपनी कार लेकर कोलाराम गांव के लिए निकल पड़े और पद्मा की मदद से महिला को गंगाराम प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र लेकर चले आए। इस दौरान उन्होंने वन क्षेत्र की एक लेन वाली सड़क पर रात के समय तकरीबन 70 किलोमीटर का फासला तय किया। वर्ष 2017 और 2019 में बेस्ट मेडिकल आफिसर का अवार्ड हासिल करने वाले डा. मुकर्रम ने उस घटना के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया, ‘‘यह एक एमरजेंसी केस था और वहां जो एकमात्र एंबुलेंस थी वह एक अन्य प्राथमिक केन्द्र पर गई हुई थी। एंबुलेंस का इंतजार करने से महिला की हालत बिगड़ सकती थी इसलिए मैंने अपनी कार से जाने का फैसला किया और महिला को चिकित्सा केन्द्र ले जाकर प्रसव कराया। जन्म के समय बच्ची नीली पड़ गई थी और उसके फेफड़ों को साफ करके उसकी जान बचाई गई।
यदि महिला को चिकित्सा केन्द्र नहीं लाया जाता तो बच्ची को बचाना मुमकिन नहीं होता और महिला को भी परेशानी हो सकती थी।” महबूबाबाद के जिला कलक्टर वी पी गौतम ने सोशल मीडिया पर इस घटना को साझा किया और डा. मुकर्रम की जिम्मेदारी की भावना की सराहना की। कोरोना के खिलाफ लड़ाई की इस घड़ी में डा. मुकर्रम के इस कदम को उनके साथी डाक्टरों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण करार देते हुए गौतम ने कहा, ‘‘इस मुश्किल घड़ी में डाक्टर मुकर्रम जैसे लोगों की कर्तव्यपरायणता हमें हौंसला देती है।” उनका कहना था कि इन दिनों प्रसूति के लिए अस्पताल आने वाली महिलाओं की संख्या पिछले वर्षों के मुकाबले काफी बढ़ गई है और सामान्य रोगी भी हमेशा की तरह अस्पताल आ रहे हैं। ऐसे में हमारी पूरी कोशिश है कि कोरोना संकट और लॉकडाउन की बंदिशों के बावजूद मेडिकल सुविधाओं में किसी तरह की कमी नहीं आने पाए। महबूबाबाद जिले में 20 प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र हैं और उनमें से 10 आदिवासी इलाकों में हैं। (एजेंसी)