Vishwas Mehta: 33 years of dedicated administrative officer dedicated to Kerala

Loading

नयी दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमण के हर दिन बढ़ते हजारों मामलों के बीच सुदूर दक्षिणी राज्य केरल ने अपनी सटीक निगरानी प्रणाली, मजबूत स्वास्थ्य ढांचे और समयोचित प्रशासनिक उपायों से इस महामारी के प्रकोप पर नियंत्रण के साथ ही प्रवासी मजदूरों से जुड़े मामलों को इतनी कुशलता के साथ संभाला कि वह दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बन गया। राज्य के मुख्य सचिव डा. विश्वास मेहता को राज्य में कोविड के खिलाफ जंग का सबसे बड़ा योद्धा कहा जा सकता है। वह पिछले 33 बरस से केरल को अपनी कर्म भूमि बनाए हुए हैं और उन्होंने राज्य के गृह विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव के तौर पर रहते हुए राजनीतिक और प्रशासनिक तंत्र के बीच बेहतर तालमेल के साथ तमाम योजनाओं को अमली जामा पहनाया और राज्य सरकार के भरोसे को सही साबित किया।

उन्हें बुधवार को कैबिनेट ने केरल का मुख्य सचिव बनाने का निर्णय लिया। वह टॉम जोस का स्थान लेंगे, जो 31 मई को सेवानिवृत्त हुए। भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1986 बैच के आईएएस अधिकारी विश्वास मेहता ने जून 1987 में कोल्लम के सहायक कलक्टर के तौर पर अपना करियर शुरू किया और उसके एक साल बाद वायनाड के सहायक कलक्टर बने। 1991 में राजस्व विभाग में उप सचिव और 1992 में वह केरल के रबर विपणन महासंघ के प्रबंध निदेशक बनाए गए। वह इडुक्की और वायनाड के कलक्टर भी रहे। उन्होंने स्वास्थ्य सचिव, प्रधान शिक्षा सचिव, प्रधान राजस्व सचिव, राजस्व अतिरिक्त मुख्य सचिव आदि के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। केरल में प्रवासी श्रमिकों को ‘अतिथि श्रमिक’ का नाम देने वाले डा. मेहता का कहना है कि राज्य ने अपने इन पांच लाख से अधिक अतिथियों को कुटुंबश्री सामुदायिक रसोई के जरिए उनकी पसंद का खाना परोसा और उन्हें मास्क और सैनिटाइजर देने के अलावा उनके मोबाइल फोन में 100 से 200 रूपए का रिचार्ज करवाया ताकि वह सैकड़ों मील दूर बैठे अपने परिजनों को अपनी खैरियत की खबर दे सकें।

इसके अलावा इन श्रमिकों के लिए बनाए गए कॉल सेंटर में ऐसे लोगों को तैनात किया गया, जिन्हें छह भाषाओं का ज्ञान था। डॉ. विश्वास मेहता राजस्थान के उदयपुर संभाग के डूंगरपुर क्षेत्र के मूल निवासी हैं और भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव एवं केरल के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव रहते हुए स्वाइन फ्लू और इबोला जैसी बीमारियों के विरुद्ध भी सफलतापूर्वक जंग लड़ चुके हैं। उनका अनुभव इस बार भी काम आया और उन्होंने राज्य के मजबूत स्वास्थ्य ढांचे को सही दिशा में इस्तेमाल करते हुए कोरोना का सफलतापूर्वक मुकाबला किया। उनका मानना है कि विपरीत परिस्थितियों में सरकार और प्रशासन की बेहतर रणनीति, उचित सूझबूझ, सही पूर्वानुमान के साथ साथ श्रेष्ठ कार्य योजना तथा जमीनी स्तर पर तालमेल एवं कार्य कुशलता से बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना किया जा सकता है। राजस्थान के लोगों को इस बात पर गर्व हो सकता है कि उनके राज्य के एक नौकरशाह ने केरल में कोविड -19 के खिलाफ बहुत बहादुरी और कुशल रणनीति से जंग लड़ी। लेकिन विश्वास बड़ी विनम्रता के साथ इसका पूरा श्रेय पूरे सरकारी अमले के टीम वर्क के साथ साथ केरल की सदियों पुरानी परंपराओं और इस शिक्षित राज्य के मजबूत स्वास्थ्य ढांचे को देते हें।