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    – सीमा कुमारी

    मंगलवार से ‘नवरात्रि’ का पावन पर्व शुरू हो चुका है। इस दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है और भक्तगण मां को खुश करने के लिए अलग-अलग तरह का भोग लगाते हैं। दरअसल, नवरात्र में पहले दिन से लेकर अंतिम दिन यानी नवमी तक मां को उनका मनपसंद भोग लगाकर जरूरतमंदों में बांटने से मां का आशीर्वाद बना रहता है।

    आईए जानें मां के नौ रूपों को कौन-सा भोग लगाना चाहिए:

    • नवदुर्गा के प्रथम स्वरूप ‘माता शैलपुत्री’ को पीला रंग अति प्रिय है इसलिए उन्हें पीला प्रसाद जैसे बेसन की बर्फी, मीठे चावल आदि चढ़ाए। मान्यता है कि मां को गाय के घी से बनी मिठाई अर्पित करने से व्यक्ति रोग मुक्त रहता है।
    • दूसरे दिन ‘माता ब्रह्मचारिणी’ की पूजा की जाती है, जिन्हें शक्कर का भोग लगाना चाहिए। लंबी उम्र के लिए मां को मिश्री, चीनी और पंचामृत का प्रसाद भी चढ़ा सकते हैं।
    • तीसरा दिन – ‘माता चंद्रघंटा’ को दूध से बनी चीजें जैसे बर्फी, खीर आदि का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से माता के भक्तों को दुखों से मुक्ति मिलती है।
    • देवी दुर्गा के चौथे रूप ‘मां कुष्मांडा’ को पूजा के बाद मालपुए का भोग लगाना चाहिए। इससे बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
    • पांचवा दिन – ‘माता स्कंदमाता’ को कुमार कार्तिकेय की माता भी माना जाता है। पूजा के बाद उन्हें केले का भोग लगाएं। इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
    • छठा दिन – ‘माता कात्यायनी’ ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं, जिन्हें शहद का भोग लगाना चाहिए। इससे उपासक को आकर्षक व्यक्तित्व मिलता है।
    • सातवां दिन – बुरी शक्तियों का नाश करने वाली ‘मां कालरात्रि’ को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। इससे उपासक के सभी संकट दूर होंगे और वो कष्ट मुक्त भी रहेगा।
    • आठवां दिन – माता के 8वें स्वरूप ‘महागौरी’ का यह नाम गोरे रंग के कारण पड़ा। माता को नारियल का भोग लगाने से संतान प्राप्ति होती है। इस दिन ब्राह्मण को नारियल दान देने की भी प्रथा है।
    • नौवां दिन – सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली ‘मां सिद्धिदात्री’ की नवमी कंजन पूजन और आराधना करने के बाद माता को तिल, हलवा, काले चने-पूरी, खीर का भोग लगाएं। इससे उपासक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।