महाराष्ट्रीयन सावन महीने की पहली मंगला गौरी व्रत आज, जानें इसकी महिमा और पूजा विधि

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    -सीमा कुमारी

    भारत विभिन्न धर्मो वाला देश है। यहां सभी धर्मो के लोग एक साथ मिलकर अपना-अपना त्योहार मानते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, सावन महीने की शुरुआत 25 जुलाई से हो चुकी है। लेकिन, महाराष्ट्र में रहने वाले लोग यानी, महाराष्ट्रीयन के सावन महीने की शुरुआत 10 अगस्त, सोमवार से शुरू है। महादेव को समर्पित सावन का पवित्र महीना भक्तों के लिए विशेष फलदायनी एवं मनवांछित फल प्रदान करने वाला माना जाता है। ऐसे में शिव भक्त महादेव का खुश करने के लिए तरह- तरह के उपाय करते रहते है।  

    मान्यताओं के अनुसार मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat) महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य के लिए रखती है और इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में अथाह प्रेम बना रहता है। संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली स्त्रियों के लिए भी यह व्रत बहुत काफी फलदायी होता है। इस वर्ष मंगला गौरी व्रत सावन माह के पहले मंगलवार को यानी 10 अगस्त को रखा जाएगा। इसके अलावा यदि किसी महिला के दांपत्य जीवन में किसी भी तरह की पारिवारिक समस्या बनी हुई हैं तो उन्हें भी श्रद्धापूर्वक मंगला गौरी व्रत करना चाहिए। आइए जानें मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि और इसकी महिमा… 

    पूजन विधि:

    इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें। नित्यकर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुधरे वस्त्र धारण करें।

    इस दिन एक ही बार अन्न ग्रहण करके पूरे दिन माता पार्वती की आराधना करनी चाहिए।

    चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां मंगला यानी माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।

    अब विधि-विधान से माता पार्वती की पूजा करें।

    ‘मंगला गौरी व्रत’ का महत्व:

    ‘मंगला गौरी व्रत’ विशेष फलदायी बताया गया है। कुंवारी कन्याओं के करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। इसके अलावा, इससे सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कमी होती है या शादी के बाद पति से अलग होने या विवाह के बंधन में टूट हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हों, तो उन महिलाओं के लिए ‘मंगला गौरी व्रत’ (Mangala Gauri Vrat) विशेष रूप से फलदायी है। ऐसे में ये व्रत अवश्य करनी चाहिए।