सावन का पहला ‘मंगला गौरी व्रत’, जानें इसकी पूजा-विधि और महिमा

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    -सीमा कुमारी

    भगवान भोलेनाथ को सावन का महीना बेहद प्रिय है। मान्यता है कि सावन महीने में सोमवार के दिन भगवान शंकर की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। वहीं सावन के मंगलवार को  ‘मंगला गौरी व्रत’ (Mangala Gauri Vrat) रखने से मां पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।

    सावन के हर मंगलवार को मां मंगला गौरी के निमित्त व्रत रखकर विशेष पूजा आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां मंगला गौरी का पूजन करने से विवाह, नौकरी, व्यापार और धन संबंधित सभी तरह की बाधाएं दूर हो जाती है। इस साल के सावन में 27 जुलाई को पहला ‘मंगला गौरी व्रत’ रखा जाएगा।

    सावन के मंगलवार को मां मंगला यानी माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन सुहागिनें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इस साल सावन मास में चार मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे।

    शास्त्रों के अनुसार, जो नवविवाहित स्त्रियां सावन मास में मंगलवार के दिन व्रत रखकर मंगला गौरी की पूजा करती हैं, उनके पति पर आने वाला संकट टल जाता है और वह लंबे समय तक दांपत्य जीवन का आनंद लेता है।आइए जानें पूजा विधि और इसकी महिमा –

    पंचांग के अनुसार, 25 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है। सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को पड़ रहा है। इस तरह सावन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि और मंगलवार दिन 27 जुलाई को पड़ेगा। 27 जुलाई को सावन का पहला ‘मंगला गौरी व्रत’ रखा जाएगा।

    पूजन विधि:

    इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें। नित्यकर्मों से निवृत्त होकर साफ-सुधरे वस्त्र धारण करें।

    इस दिन एक ही बार अन्न ग्रहण करके पूरे दिन माता पार्वती की आराधना करनी चाहिए।

    चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां मंगला यानी माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।

    अब विधि-विधान से माता पार्वती की पूजा करें।

    ‘मंगला गौरी व्रत’ का महत्व:

    ‘मंगला गौरी व्रत’ विशेष फलदायी बताया गया है। कुंवारी कन्याओं के करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। इसके अलावा, इससे सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कमी होती है या शादी के बाद पति से अलग होने या विवाह के बंधन में टूट हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हों, तो उन महिलाओं के लिए ‘मंगला गौरी व्रत’ (Mangala Gauri Vrat) विशेष रूप से फलदायी है। ऐसे में ये व्रत अवश्य करनी चाहिए।

    मां मंगला गौरी के इस मंत्र का जाप सुबह और शाम को 108-108 बार करें-

    “श्वेते वृषे समारुढ़ा, श्वेताम्बरधरा शुचिः।

    महागौरीं शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया।।”