सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का बेहद महत्व है. यह भगवान शिव का मुख्य पर्व है. भगवान शिव के कई नाम है. कोई उन्हें भोलेनाथ कहता है, तो कोई नीलकंठ भी कहता है. भगवान शिव के कई भक्त है. उनके भक्त हर साल
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का बेहद महत्व है. यह भगवान शिव का मुख्य पर्व है. भगवान शिव के कई नाम है. कोई उन्हें भोलेनाथ कहता है, तो कोई नीलकंठ भी कहता है. भगवान शिव के कई भक्त है. उनके भक्त हर साल महाशिवरात्रि का बेसब्री से इंतजार करते है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भक्त उनको फल-फूल अर्पित करते हैं और शिवलिंग पर दूध व जल अर्पित करते हैं.
महाशिवरात्रि के दिन खास तौर पर महिलाएं व्रत रखती है. ऐसा माना जाता है कि, महाशिवरात्रि के दिन अविवाहित कन्या अच्छे जीवनसाथी की कामना करते हुए इस व्रत को रखती है. तो वहीं, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन सुखद बनाए रखने के लिए यह व्रत करती हैं.
महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. वैसे देखा जाए तो साल में 12 शिवरात्रि आती है. लेकिन, फाल्गुन माह में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते है. महाशिवरात्रि के बारे में धार्मिक मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए इस दिन को महाशिवरात्रि के नाम से मनाया जाता है.
जानें महाशिवरात्रि के पूजन मुहूर्त के बारे में:
महाशिवरात्रि की तिथि: 21 फरवरी 2020
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 21 फरवरी 2020 को शाम 5 बजकर 20 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 22 फरवरी 2020 को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक
रात्रि प्रहर की पूजा का समय: 21 फरवरी 2020 को शाम 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक
महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे अच्छा दिन माना जाता है. इस दिन जो भी सच्ची भक्ति से भगवान शिव की पूजा, आराधना करता है. उसकी हर मुराद पूरी होती है. महाशिवरात्रि के दिन बेलपत्र, दूध, धतूरे, सफ़ेद अक्षद, गंगाजल, चढ़ाकर शिवलिंग की पूजा की जाती है.