In this way, worship Gayatri and chant the mantra, you will get amazing benefits

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-सीमा कुमारी  

समस्त धर्म ग्रंथों में गायत्री की महिमा एक स्वर से कही गई. समस्त ऋषि-मुनि मुक्त कंठ से गायत्री का गुण-गान करते हैं. शास्त्रों में गायत्री की महिमा का पवित्र वर्णन मिलता हैं. गायत्री मंत्र तीनों देव, बृह्मा, विष्णु और महेश का सार है. गीता में भगवान् ने स्वयं कहा है ‘गायत्री छन्दसामहम्’ अर्थात् गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूं.

‘गायत्री’ एक छन्द भी है जो ऋग्वेद के सात प्रसिद्ध छंदों में से एक है. इन सात छंदों के नाम हैं- गायत्री, उष्णिक्, अनुष्टुप्, बृहती, विराट, त्रिष्टुप् और जगती. गायत्री छन्द में आठ-आठ अक्षरों के तीन चरण होते हैं. ऋग्वेद के मंत्रों में त्रिष्टुप् को छोड़कर सबसे अधिक संख्या गायत्री छंदों की है. गायत्री के तीन पद होते हैं (त्रिपदा वै गायत्री). अतएव जब छंद या वाक के रूप में सृष्टि के प्रतीक की कल्पना की जाने लगी तब इस विश्व को त्रिपदा गायत्री का स्वरूप माना गया. 

जब गायत्री के रूप में जीवन की प्रतीकात्मक व्याख्या होने लगी तब गायत्री छंद की बढ़ती हुई महिता के अनुरूप विशेष मंत्र की रचना हुई. भावार्थः-हम उस अविनाशी ईश्वर का ध्यान करते है, जो भूलोक, अंतरिक्ष और जिन्होंने स्वर्ग लोकों को उत्पन्न किया है. उस सृष्टी कर्ता, पाप नाशक, अतिश्रेष्ठ देव को हम धारण करते है. वह (ईश्वर) हमें सद्बुद्धी दें एवम सत्कर्म मे प्रेरित करें. यह गायत्री मंत्र ऋग्वेद यजुर्वेद और सामवेद में प्रस्तुत है. ईश्वर की उपासना करना इसका मुख्य उद्देश्य है. चार वेदों में यह मंत्र सबसे प्रसिद्ध मंत्र है.

गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर हैं. यह चौबीस अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं. यही कारण है कि ऋषियों ने गायत्री मंत्र को भौतिक जगत में सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है.

गायत्री मंत्र: ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्…

गायत्री मंत्र का अर्थ: गायत्री मंत्र के अर्थ पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि इस मंत्र के जप से कई प्रकार का लाभ मिलता है. यह मंत्र कहता है ‘उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें. वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे. यानी इस मंत्र के जप से बौद्धिक क्षमता और मेधा शक्ति यानी स्मरण की क्षमता बढ़ती है. इससे व्यक्ति का तेज बढ़ता है साथ ही दुःखों से छुटकारा मिलता है.

कब करें गायत्री मंत्र का जाप: यूं तो मंत्र को कभी भी पढ़ा जा सकता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार इसका दिन में तीन बार जप करना चाहिए.

  • प्रात:काल सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के पश्चात तक.
  • फिर दोबारा दोपहर को.
  • फिर शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले जप शुरू करना चाहिए.