इस साल का अंतिम शुभ दिन जानिए, और जानें तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त

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    सीमा कुमारी

    नई दिल्ली : हिन्दू धर्म में ‘भड़ली नवमी’ का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ‘भड़ती नवमी’ होती है। यह तिथि इस वर्ष 18 जुलाई, यानी अगले रविवार को है। इस बार नवमी तिथि 8 दिन की ही है, यानी 11 जुलाई से प्रारंभ होकर यह 18 जुलाई तक ही रहने वाली है। इसलिए ‘भड़ली नवमी’ 18 जुलाई को मनाई जाएगी।

    इस तिथि की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हिन्दू धर्म में शुभ विवाह का यह आखिरी दिन माना जाता है।  

    मान्यताएं हैं कि ये दिन शादी विवाह के लिए बहुत शुभ होता है। इसके बाद से ‘देवशयनी एकादशी’ (Devshayani Ekadashi) की शुरुआत होती है, जिसमें भगवान विष्णु क्षीर सागर के भीतर योग निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद चार महीनों तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। कहते हैं कि, इस समय भगवान विष्णु निद्रा में होते हैं। इस वजह से किसी भी शुभ कार्य में उनका आशीर्वाद नहीं मिल पाता है। इन चार महीनों में विवाह, मुंडन आदि सभी प्रकार के मांगलिक कार्य रुक जाते हैं। आइए जानें ‘भड़ली नवमी’ के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में:

    शुभ मुहूर्त:

    ‘भड़ली नवमी 2021’ का प्रारंभ 18 जुलाई से सुबह 2 बजकर 41 मिनट से शुरू हो रहा है। इसका समापन उसी दिन रात 12 बजकर 28 मिनट पर हो जाएगा। इस दौरान पूरे दिन रवि योग बना रहेगा। इसके अलावा ‘साध्य योग’ रात 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। इस योग को काफी शुभ माना गया है। इस योग में कई शुभ कार्य किए जा सकते हैं।  

    अबूझ मुहूर्त:

    ‘भड़ली नवमी’ के दिन ‘अबूझ मुहूर्त’ होता है। ‘भड़ली नवमी’ को अक्षय तृतीया के जैसा ही महत्व प्राप्त है। यदि आपको विवाह का कोई मुहूर्त नहीं मिल रहा है, तो ऐसे में यह दिन शादी के लिए बहुत शुभ होता है। इस दिन आप किसी भी समय में विवाह कर सकते हैं। पूरे दिन शुभ मुहूर्त होता है। इस दिन आप बिना मुहूर्त देखें गृह प्रवेश, वाहन की खरीदारी, दुकान या नए बिजनेस का शुभारंभ कर सकते हैं।

     न करें कोई मंगल कार्य

    ‘भड़ली नवमी’ किसी भी मांगलिक कार्य करने का आखिरी दिन होता है इसके बाद 20 जुलाई 2021 से ‘चतुर्मास’ प्रारंभ हो रहा है इस दिन से लेकर अगले 4 माह तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान ‘देवशयनी एकादशी’ भी है, जिसके बाद से ही भगवान विष्णु पाताल लोक में निद्रा में चले जाते हैं और अगले चार माह तक वह इसी अवस्था में रहते हैं। इसके बाद भगवान विष्णु का प्रिय माह सावन शुरू होता है। ये माह शिव भक्तों के लिए बहुत ही खास माना जाता है। इस दौरान भक्तगण सावन के सभी सोमवार व्रत रखकर भगवान शिव की भक्ति करते हैं।