-सीमा कुमारी
हिंदू धर्म में बुद्धि और शुभता के देव भगवान श्रीगणेश को माना जाता है। ऐसे में हर शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा जरूर की जाती है। हर महीने दो चतुर्थी आती है। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण में है। धर्मग्रन्थों के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की तिथि है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
इस महीने ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष को ‘ विनायक चतुर्थी’ 14 जून,.यानी अगले सोमवार को है। मान्यताएं हैं कि इस दिन भक्तगण सुख, शांति और समृद्धि के लिए एकदन्त दयावन्त चार भुजा धारी भगवान गणेश जी की पूजा-आराधना करते हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से मनचाहा वरदान मिलता है। हालांकि, सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण विनायक चतुर्थी भाद्रपद के महीने में आती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश का जन्मदिन मनाया जाता है। आइए जानें ‘विनायक चतुर्थी’ का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…
शुभ मुहूर्त
ज्येष्ण माह शुक्ल पक्ष चतुर्थी आरंभ- 13 जून 2021 दिन रविवार रात 9 बजकर 40 मिनट से
ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष चतुर्थी समाप्त- 14 जून 2021 दिन सोमवार रात 10 बजकर 34 मिनट पर
पूजा- विधि
मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि निवृत्त हो जाएं और हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें। पूजा स्थान को अच्छी तरह साफ करें, गंगाजल छिड़कें और चाहे तो घर के मंदिर में ही पूजन आरंभ करें या फिर लकड़ी की पटरी पर लाल रंग का आसन बिछाकर भगवान गणेश के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें।
दीपक प्रज्वलित करने के बाद सिंदूर से भगवान गणेश का तिलक करें और उन्हें दूर्वा, फल, फूल और मिष्ठान में लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। पूजा के बाद गणेश जी की आरती करें और पूजा संपन्न होने के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।
मंत्र का करें जाप-
”ॐ गं गणपतयै नम:”
विनायक चतुर्थी तिथि का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस विशेष दिन नियम और निष्ठा के साथ भगवान गणराया की पूजा-अर्चना किया जाए तो भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं। कार्यों में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। भगवान गणेश को ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि, और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है और किसी भी शुभ काम की शुरूआत प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता गणेश जी के पूजन से ही होती है।