जानिए कब की जाती है गोवर्धन पूजा, क्या है इसकी मान्यता ?

Loading

दिवाली के दूसरे दिन की जाती है गोवर्धन पूजा। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। यह दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को आता है। इस दिन अन्नकूट उत्सव भी मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गाय, बैल आदि की भी विधि-विधान पूर्वक पूजा की जाती है। पूजा से पहले पशुओं को स्नान कराया जाता है। उसके बाद सिर में तेल-सिंदूर लगाकर माला पहनाया जाता है। फिर उन्हें धूप-आरती के बाद मिष्ठान्न खिलाया जाता है और उनके रस्सी भी बदले जाते हैं। इस दिन गोवर्धन पर्वत की भी पूजा होती है। इस दिन घर के आँगन में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है। 

तिथि और पूजा मुहूर्त-
इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 15 नवंबर को सुबह 10.36 बजे आरंभ हो रहा है जो 16 नवंबर को सुबह 07.05 बजे तक रहेगा। वहीं, गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 03.19 बजे से संध्या 05.26 बजे तक है। 

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा-
गोवर्धन पूजा को लेकर ऐसी मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों को इंद्रदेव की बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया था। श्रीकृष्ण का कहना था कि बारिश गोवर्धन पर्वत की वजह से होता है, इंद्रदेव की वजह से नहीं, यह पर्वत ही बादल को रोकता है। इसलिए गोकुल वासी को गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। जिसके बाद सबने मिलकर गोवर्धन पूजा करने लगे। इससे इंद्रदेव को बड़ा गुस्सा आया और गोकुल में मूसलाधार बारिश शुरू कर दी। तेज बारिश से गोकुल वासी डर गए। गोकुल वासियों को भयभीत देख उन्हें बचाने के लिए भगवान ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया। समस्त गोकुल वासियों ने गोवर्धन पर्वत की शरण लेकर बारिश से खुद को बचाया। इस तरह श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अभिमान तोड़ दिया।