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    नई दिल्ली: भारत भूमि बेहद रंगबिरंगी और कई धार्मिक मान्यताओं से भरी है। यहां हर साल सावन आते ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। राखी खत्म होते ही सबसे पहले आती है कृष्ण जन्माष्टमी। भगवान कृष्ण के जन्म होने पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। यह पर्व बेहद पावन होता है। भगवान कृष्ण के भक्त उनका जन्मदिन बढ़े उत्साह के साथ मनाते है। इस दिन हर जगह जश्न होता है। भगवान कृष्ण का जन्मदिन आने के पहले दिन ही सभी भक्तजन, कृष्ण प्रेमी, कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की तैयारियां शुरू कर देते है। 

    दही हांडी का उत्सव

    हर साल कृष्ण जन्माष्टमी पर दही हांड़ी की परंपरा होती है। महाराष्ट्र में दही हांड़ी का एक अलग ही माहौल होता है। यहां सभी को दही हांड़ी का क्रेज होता है। बड़े पैमाने पर दही हांड़ी का आयोजन किया जाता है और जो जीतता है उसे इनाम स्वरूप राशि प्रदान की जाती है। इस दही हांड़ी को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटते है। दही हांड़ी प्रोग्रॅम बेहद ही रोचक होता है। आपके बता दें कि महाराष्ट्र और गुजरात में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन दही हांड़ी की परंपरा को उत्सव का प्रतीक माना जाता है। 

    आपको बतां दें कि दही हांड़ी को बड़े हि अच्छे से तैयार किया जाता है। मिटटी के बर्तन में दही, मक्खन के साथ फूलों की माला लटकाएं हुए उस हांड़ी को ऊंचाई पर लटकाया जाता है, फिर युवाओं का ग्रुप एक मानव चैन बनाकर एक के ऊपर एक चढ़कर हांड़ी तक पहुंचते है और फिर दही हांड़ी फोड़कर जश्न मनाया जाता है। फोड़ी हुई दही हांड़ी का दही चारों और के लोगों पर श्री कृष्ण का प्रसाद समज कर झिड़का जाता है। हर साल बड़े ही धूमधाम से कृष्णजन्माष्टमी मनाई जाती है। पर इस साल कोरोना को देखते हुए सावधानी बरतना बेहद जरुरी है इसलिए इस वर्ष दही हांड़ी का प्रोग्राम नहीं मनाया जायेगा। अगर मनाना भी है तो अपने घर के में परिवार के सदस्य के साथ मिलकर भीड़ ना होते हुए मनाया जाएं। 

    दही हांडी का महत्व, वजह  

    हम सब जानते है कि कृष्ण जन्माष्टमी पर दही हांड़ी की परंपरा काफी पुराणी है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान कृष्ण को माखन यानी दही बेहद प्रिय था। जव कृष्ण नन्हे थे तब पड़ोसियों के घर जाकर माखन चुराकर खाते थे। इसी वजह से कृष्ण को माखन चोर भी कहां जाता है। भगवान कृष्ण सभी के घर से माखन चुराते थे। इस वजह से माँ यशोदा उनसे काफी परेशान हो गई थी।

    इस वजह से मां यशोदा ने सभी पड़ोसियों को दही, माखन की हंडियां ऊंचाई पर बांधने की सलाह दी। नटखट नन्हे कान्हा भला माखन खाने से बाज नहीं आयें। हांड़ी को ऊंचाई पर लटकाने के बाद भी कृष्ण अपने मित्रों के साथ मिलकर मानव चैन बनाकर हांड़ी तक पहुंच जाते थे और हांड़ी तोड़कर माखन आपस में बात लेते थे। इसी के चलते कृष्ण भगवान के जन्मदिन पर यानी कृष्ण जन्माष्टमी दही हांड़ी का उत्सव बड़ेहि धूमधाम से मनाया जाता है। 

    जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त :

    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तिथि: – 30 अगस्त 2021

    अष्टमी तिथि प्रारम्भ: – अगस्त 29, 2021 रात 11:25

    अष्टमी तिथि समापन: – अगस्त 31, 2021 सुबह 01:59

    रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ: – अगस्त 30, 2021 सुबह 06:39

    रोहिणी नक्षत्र समापन – अगस्त 31, 2021 सुबह 09:44

    निशीथ काल: –  30 अगस्त रात 11:59 से लेकर सुबह 12:44 तक

    अभिजीत मुहूर्त: – सुबह 11:56 से लेकर रात 12:47 तक

    गोधूलि मुहूर्त: – शाम 06:32 से लेकर शाम 06:56 तक