Image: Google
Image: Google

    Loading

    -सीमा कुमारी 

    बसंत पंचमी का पर्व  इस साल 16 फरवरी के दिन बुधवार को मनाई जाएगी। हर वर्ष की तरह माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता अनुसार, मां सरस्वती की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान और स्वर की प्राप्ति होती है। खासकर, विद्यार्थियों को मां सरस्वती की पूजा व आराधना जरूर करनी चाहिए। इस दिन लोग पीले रंग का वस्त्र पहन कर सरस्वती मां की पूजा करते हैं। बसंत पंचमी के दिन से ही वसंत ऋतु की शुरूआत होती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई जगहों पर बेहद ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।

    सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त –
    16 फरवरी को 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि प्रारंभ हो रही है जो 17 फरवरी को सुबह 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। बसंत पंचमी का पर्व 16 फरवरी को ही मनाया जाएगा। बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और पूर्वाह्न से पहले की जाती है।

    पूजा विधि –

    • इस दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा करें। पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती को उस पर स्थापित करें और रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि प्रसाद के रूप में उनके पास रखें। मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले तथा सफेद पुष्प दाएं हाथ से अर्पण करें। केसर मिश्रित खीर अर्पित करना सर्वोत्तम होगा। हल्दी की माला से मां सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप करें। शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजा करके उसको ठीक किया जा सकता है। 

    बसंत पंचमी का महत्व-
    भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं के बसंत में प्रकट होने की बात कही है। ब्रह्मवैवर्त पुराण आदि ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन शिव ने पार्वती को धन और संपन्नता की देवी होने का आशीर्वाद दिया था। इसीलिए पार्वती को नील सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन संध्या में 101 बार इस मंत्र का जाप उत्तम माना गया है-

    मंत्र –  ऐं हृीं श्रीं नील सरस्वत्यै नमः।।