-सीमा कुमारी
हिन्दुओं को रुद्राक्ष के प्रति असीम आस्था होती है. रुद्राक्ष भोले शंकर का प्रतीक माना गया है. रुद्राक्ष को आभूषण के रूप में भोले बाबा अपने शरीर में धारण करते है. माना जाता है कि शिव के नेत्रों से गिरी अश्रुओं की धारा जहां-जहां धरती पर गिरी थी, वहाँ-वहाँ रुद्राक्ष का उद्भव हुआ था. रुद्राक्ष के कई रूप होते है, रुद्राक्ष का अर्थ है – रूद्र का अक्ष. मान्यता यह भी हैं कि रुद्राक्ष को ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता है.
मुख्य रूप से सत्तरह प्रकार के रुद्राक्ष होते हैं. सामाजिक इस्तेमाल में ग्यारह प्रकार के रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग किए जाते हैं. रुद्राक्ष से कई प्रकार का लाभ होता है, परन्तु यह तभी संभव है, जब सोच समझकर नियमों के साथ रुद्राक्ष धारण किया जाए. बिना नियमों को जाने गलत तरीके से रुद्राक्ष को धारण करने से आपको उल्टा हानि भी हो सकती है.
- रुद्राक्ष को कलाई कंठ और ह्रदय पर पहना जा सकता है. इसे गले में धारण करना सर्वोत्तम होता है.
- रुद्राक्ष हमेशा कलाई में बारह, कंठ में छत्तीस और ह्रदय पर एक सौ आठ दानो वाला धारण करना चाहिए.
- एक दाना भी धारण कर सकते हैं, पर यह दाना ह्रदय तक होना चाहिए तथा लाल धागे में होना चाहिए.
- रुद्राक्ष को सावन में, सोमवार को और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना अति सर्वोत्तम माना गया है.
- रुद्राक्ष धारण करने के पूर्व उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए. उसी माला या रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए.
- जो लोग भी रुद्राक्ष धारण करते हैं, उन्हें सात्विक रहना चाहिए. आचरण को शुद्ध रखना चाहिए, अन्यथा रुद्राक्ष का गुण समाप्त होने लगता है.