Lord Ganesh

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    -सीमा कुमारी 

    कहते हैं इस दुनिया में माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं है। ऐसे में हर इंसान का पहला दायित्व  एवं कर्तब्य बनता है कि वो अपने माता-पिता की सेवा करे। कहा जाता है कि जो लोग अपने माता-पिता का आदर-सम्मान करते हैं, उनकी हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखते हैं, ऐसे लोग सभी के प्रिय और देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसा चाणक्य नीति कहती है।

    माता-पिता की सेवा का भाव लेकर गीता में भगवान श्रीकृष्ण सेवा के महत्व के बारे में कहते हैं कि सेवा का भाव व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाता है। जिसके हृदय में सेवा भाव और सेवा करने की ललक है, उसे सुख, शांति, वैभव और ऐश्वर्य सभी प्राप्त होता है। विद्वान भी मानते हैं कि सेवा की भावना मनुष्य के उत्तम गुणों में से एक है। माता-पिता की सेवा से पुण्य प्राप्त होता है। शास्त्रों में माता-पिता की सेवा को विशेष महत्व दिया गया है। माता-पिता की सेवा करने से ही भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता का दर्जा प्राप्त है। 

    आइए जानें इसकी कथा…

    भगवान श्री गणेश को बुद्धि और शुभता का दाता माना गया है। गणेश जी की चार भुजाएं हैं। उनका एक नाम लंबोदर भी है। गणेश जी के कान बड़े हैं। जो उन्हें सर्तक रहने और ग्रहण शक्ति तीक्ष्ण होने का संकेत देते हैं। उनके छोटे नेत्र तीक्ष्ण दृष्टि के सूचक हैं। हाथी के समान उनकी नाक महाबुद्धित्व का प्रतीक मानी जाती है।

    पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवताओं के सामने प्रश्न आया कि सबसे पहले किसकी पूजा की जाएगी? तब भगवान शिव ने कहा जो सबसे पहले संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा लगा लेगा, वही इस सम्मान को प्राप्त करेगा। भगवान शिव का आदेश मिलते ही सभी देवता अपने अपने वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े।  लेकिन जब बात गणेश जी की आई तो देवताओं के मन में शंका उत्पन्न हुई कि गणेश जी कैसे परिक्रमा करेंगे, वे तो स्थूल शरीर के हैं और उनका वाहन भी मूषक है। लेकिन, गणेश जी ने अपनी बुद्धि से अपने पिता भगवान शिव और माता पार्वती की तीन परिक्रमा पूरी की और हाथ जोड़ कर खड़े हो गए। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर गणेश जी से कहा कि तुमसे बड़ा बुद्धिमान इस संसार में और कोई नहीं है। गणेश जी ने माता और पिता की तीन परिक्रमा की। जिसे तीनों लोकों की परिक्रमा के बराबर माना गया।

    इन सभी बातों से यही प्रतीत होता है कि माता- पिता की सेवा से जीवन धन्य होता है। उनकी सेवा ही सफलता की कुंजी है। ऐसे में अगर जीवन के मार्ग में सफल होना है, तो माता पिता की सेवा करें और  उनके दुख को अपना दुःख समझ कर उनका ध्यान रखें।