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    -सीमा कुमारी 

    सनातन हिन्दू धर्म में देवों के देव महादेव का पर्व ‘महाशिवरात्रि’ (Mahashivratri) इस साल 11 मार्च, गुरुवार को है। हर साल की भांति माघ मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन ‘महाशिवरात्रि’ का पर्व हर्षोल्लास के साथ देश और दुनिया भर में, जहां भी सनातन धर्म के लोग बसते हैं, मनाया जाता है। इस त्यौहार को लेकर शिव-भक्तों में एक अलग उत्साह देखा जाता है। इस दिन चारों दिशाएं बम-बम के जयकारों से गूंज उठती हैं।  हर तरफ शिव शंकर की जय-जयकार होती है। इस त्‍यौहार को लेकर ख़ास तैयारी की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन अगर आप गलती से भी ये काम कर दें, तो अशुभ हो जाता है। चलिए जानें वो कौन सी बातें हैं…

    • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की पूजा में तुलसी चढ़ाना निषेध है।  पौराणिक कथाओं के मुताबिक शिव ने तुलसी के पति राक्षस जलंधर का अंत किया था। जिसके कारण माता तुलसी ने भगवान शिव को अपने औषधीय गुणों से वर्जित कर दिया था।
    • शास्त्रों के अनुसार, ‘महाशिवरात्रि’ पर शिव उपासना में शंख का इस्तेमाल वर्जित माना गया है। दरअसल इसके पीछे भी पौराणिक कथा है, भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। जो भगवान विष्णु का भक्त था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए शिवजी की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
    • कहा जाता है कि भगवान शिव की पूजा में टूटा हुआ चावल चढ़ाना अशुभ होता है। इसलिए जरूरी है कि शिवलिंग पर अक्षत चढ़ाने के वक्त इस चीज का ध्यान दिया जाए।
    • शास्त्रों के अनुसार, जगत के संहारक भोलेनाथ को कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए। कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक होता है, जबकि भगवान शिव वैरागी हैं। इसलिए शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ाना चाहिए।
    • गुरुजनों का कहना है कि शिवलिंग पर नारियल पानी से अभिषेक नहीं करना चाहिए, क्योंकि नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक है। जिनका संबंध भगवान विष्णु से है।
    • कहते हैं कि शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि हल्दी को बेहद पवित्र माना जाता है और कई शुभ मौकों पर इसका इस्तेमाल होता है। कई लोग भगवान को भी हल्दी चढ़ाते हैं। लेकिन भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है।इसलिए जरूरी है कि शिवपूजन में इन बातों का विशेष ध्यान दिया जाए।