मई माह में हैं कई बड़े व्रत और त्योहार, यहां देखें पूरी लिस्ट

    Loading

    -सीमा कुमारी

    मई महीने में कई व्रत एवं त्योहार पड़ते हैं। जैसे –  वरूथिनी एकादशी, ईद-उल-फितर, और बुद्ध पूर्णिमा और अन्य प्रमुख त्योहार। आइए जानें इस महीने के प्रमुख त्योहार और उनकी तिथियां-

    7 मई, शुक्रवार ‘वरुथिनी एकादशी’-

    हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘वरुथिनी एकादशी’ के नाम से जाना जाता है। यह तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन व्रत रखने और विधिवत पूजन करने से सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में शांति आती है। 

    8 मई, शनिवार ‘शनि प्रदोष’-

    पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

    9 मई, रविवार ‘मासिक शिवरात्रि’-

    वैशाख माह की ‘मासिक शिवरात्रि’ 9 मई रविवार को पड़ेगी। हिंदू धर्म में ‘महाशिवरात्रि’ का तो महत्व माना ही जाता है, लेकिन हर माह पड़ने वाली ‘शिवरात्रि’ भी बहुत महत्व रखती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ‘मासिक शिवरात्रि’ मनाई जाती है।

    11 मई, ‘वैशाख अमावस्या’-

    वैशाख माह कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को वैशाख अमावस्या के नाम से जाना जाता है। अमावस्या के दिन धार्मिक कार्य, मंत्र जाप तथा पूजा-पाठ किया जाता है। तंत्र-साधना के लिए यह तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है। 

    12-13 मई,ईद-उल-फितर’-

    इस्लाम को मानने वालों का यह प्रमुख त्योहार है। इस साल यह त्योहार 12-13 मई को मनाया जाएगा। यह त्योहार को ‘रमजान’ खत्म होने के बाद मनाया जाता है। इसे ‘मीठी ईद’ के नाम से जाना जाता है। ईद में मीठे पकवान (खासतौर पर सेवई) बनते हैं। लोग आपस में गले मिलकर अपने गिले-शिकवों को दूर करते हैं।

    14 मई, ‘परशुराम जयंती’ और ‘अक्षय तृतीया’ पर्व-

    14 मई को ‘परशुराम जयंती’ और ‘अक्षय तृतीया’ पर्व मनाए जाएंगे। भगवान परशुराम विष्णु जी के छठे अवतार और सात चिरंजीवी में एक हैं, जो कलयुग के समय आज भी इस पृथ्वी पर मौजूद हैं। अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन इनका जन्मोत्सव मनाया जाता है।

    15 मई, ‘विनायक चतुर्थी’-

    ‘विनायक चतुर्थी’ 15 मई को है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को ‘विनायक चतुर्थी’ के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि, इस दिन व्रत रखने से जातकों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

    18 मई, ‘गंगा सप्तमी’ पर्व-  

    ‘गंगा सप्तमी’ पर्व 18 मई को मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव शंकर की जटाओं में पहुंची थी इसलिए इस दिन को गंगा जयंती और गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है।

    21 मई, ‘सीता नवमी’ उत्सव- 

    ‘सीता नवमी’ उत्सव 21 मई को है। मान्यता है कि माता सीता का प्राकट्य वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इस पावन दिन को ‘जानकी नवमी’ या ‘सीता नवमी’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां का व्रत- पूजन करने से भगवान राम और मां सीता का आशीर्वाद मिलता है।

    22 मई, ‘मोहिनी एकादशी’ व्रत-

    ‘मोहिनी एकादशी’ व्रत 22 मई को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ‘मोहिनी एकादशी’ का बहुत अधिक महत्व होता है। इस एकादशी का व्रत करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। 

    24 मई, ‘सोम प्रदोष’ व्रत-

    ‘सोम प्रदोष’ व्रत 24 मई सोमवार को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

    25 मई, ‘नरसिंह जयंती’- 

    ‘नरसिंह जयंती’ 25 मई को मनाई जाएगी। भगवान नरसिंह विष्णु जी के चौथे अवतार हैं जिन्होंने हिरण्यकश्यप का वध किया था। हिन्दू पंचांग के अनुसार, नरसिंह जयंती हर साल वैशाख मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है। 

    26 मई, ‘बुद्ध पूर्णिमा’- 

    ‘बुद्ध पूर्णिमा’ 26 मई को है। वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव है। गौतम बुद्ध असली नाम सिद्धार्थ था। वे एक आध्यात्मिक गुरु थे, जिनकी शिक्षाओं से बौद्ध धर्म की स्थापना हुई थी। 

    27 मई, ‘नारद जयंती’- 

    ‘नारद जयंती’ 27 मई को मनाई जाएगी। नारद जयंती प्रतिवर्ष ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। हिन्दू धार्मिक आस्था के अनुसार, देवर्षि नारद का महत्वपूर्ण स्थान है। पौराणिक कथा के अनुसार, नारद मुनि ब्रह्माजी के मानस पुत्र हैं। 

    29 मई, ‘संकष्टी चतुर्थी’-

    ‘संकष्टी चतुर्थी’ 29 मई को है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को ‘संकष्टी चतुर्थी’ के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से जातकों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।