वैशाख महीने का आखिरी ‘प्रदोष व्रत’? जानें महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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    – सीमा कुमारी

    हिन्दू धर्म में ‘प्रदोष व्रत’ का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि को ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh vrat) आता है। ‘प्रदोष व्रत’ महीने में दो बार रखा जाता है। मान्यताएं हैं कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और देवतागण उनका गुणगान करते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि ‘प्रदोष व्रत’ रखने और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

    वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी, मई महीने का आखिरी ‘प्रदोष व्रत’ 24 मई, यानी अगले सोमवार को है। इस बार का प्रदोष व्रत ‘सोम प्रदोष’ होगा। सोमवार भगवान शिव का दिन माना गया है। ऐसे में यह प्रदोष व्रत और भी ज्यादा शुभ फलदायी रहेगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानी संध्या के समय की जाती है।

    आइए जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि-

     शुभ मुहूर्त

    • शुक्ल त्रयोदशी तिथि आरंभ- 24 मई 2021 प्रातः तड़के 03 बजकर 38 मिनट से
    • शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्त- 25 मई 2021 रात 12 बजकर 11 मिनट
    • पूजा का समय- शाम 07 बजकर 10 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट तक
    • पूजा का कुल समय- 02 घण्टे 03 मिनट

    पूजा-विधि:

    • ‘प्रदोष व्रत’ में प्रातःकाल पूजा तो की ही जाती है, इसके अलावा, शाम के समय पूजन करने का विशेष विधान है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके निवृत्त हो जाएं। ‘प्रदोष-व्रत’ के दिन ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए। भगवान शिव को प्रणाम करें और धूप दीप जलाएं इसके बाद व्रत का संकल्प करें। भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें और फिर गंगाजल से स्नान कराएं।
    • यदि विवाहिता हैं, तो मां पार्वती को लाल चुनरी और सुहाग का सामान जरूर अर्पित करें। कहते हैं, ऐसा करने से पति की आयु लम्बी होती है। इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि शिव जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग  बिल्कुल न हो। पूजा होने के बाद उसी आसन पर बैठकर शिव चालीसा या शिव मंत्रों का जाप करें।
    • मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है। प्रदोष व्रत में सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजन के बाद दूध का सेवन करें और फिर पूरे दिन निर्जला व्रत करें।
    • प्रदोष व्रत में केवल एक समय फलाहार करना चाहिए। प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

    प्रदोष व्रत का महत्व:

    मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और पाप मिट जाते हैं। मनोकामनाओं की पूर्ति के साथ ही भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है। विशेष तौर पर ‘शनि प्रदोष’ का व्रत संतान की प्राप्ति के लिए भी रखते हैं।