– सीमा कुमारी
सनातन धर्म में ‘माघ पूर्णिमा’ का विशेष महत्व होता है। यह हर वर्ष माघ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। से ‘माघी पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, इस दिन दान, स्नान और व्रत करने का विशेष महत्व होता है। मान्यताएं हैं कि, ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। क्योंकि इस दिन श्रीहरिविष्णु की पूजा की जाती है, और पूर्ण चंद्रमा भी होता है। इसके अलावा इस दिन भक्तगण व्रत रखकर भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। चलिए जानते हैं इसके शुभ-मुहूर्त और महत्व के बारे:
‘माघ पूर्णिमा’ मुहूर्त-
- ‘माघ पूर्णिमा’ आरंभ – 26 फरवरी 202, दिन शुक्रवार, शाम 03 बजकर 49 मिनट से।
- ‘माघ पूर्णिमा’ समाप्त – 27 फरवरी 2021 दिन शनिवार दोपहर 01 बजकर 46 मिनट पर।
महत्व
धर्मपंडितों का मानना है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ‘माघ पूर्णिमा’ पर जगत के पालनकर्ता भगवान श्री हरि विष्णु और हनुमान जी की पूजा की करने से सुखों की प्राप्ति होती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इस दिन व्रत करके चंद्रमा का पूजन भी किया जाता है। जिसका ज्योतिष की दृष्टि से बहुत महत्व माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्र पूजन से व्यक्ति को मानसिक शांति का अनुभव होता है, क्योंकि चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। पूर्णिमा तिथि पर कुछ कार्यों को करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन ‘गायंत्री मंत्र’ या भगवान विष्णु के ‘ऊं नमो नारायण’ मंत्र का कम से कम एक माला जाप करना चाहिए, जो बड़ा फलदायिनी माना जाता है और इस दिन दान करना भी बहुत शुभ होता है।