आज है ‘स्कंद षष्ठी’? जानें मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

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    -सीमा कुमारी 

    हिन्दू धर्म में’ स्कंद षष्ठी व्रत’ का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में यह व्रत हर महीनें षष्ठी तिथि को रखा जाता है। जो इस साल आषाढ़ महीनें की स्कंद षष्ठी का व्रत 15 जुलाई,यानी आज गुरुवार को है। यह व्रत देवों के देव् महादेव के ज्येष्ठ पुत्र कुमार कार्तिकेय भगवान को समर्पित है।  शास्त्रों के अनुसार, इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है, इसलिए इस तिथि को स्कंद षष्ठी कहते है। मान्यता के अनुसार, ‘स्कंद षष्ठी’ के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली आती है। तो आइए  जानें  स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत पूजा विधि।

    शुभ मुहूर्त-

    पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का प्रारंभ 15 जुलाई दिन गुरुवार को प्रात: 07 बजकर 16 मिनट पर हो रहा है। यह तिथि 16 जुलाई दिन शुक्रवार को प्रात: 06 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। ऐसे में स्कंद षष्ठी का व्रत 16 जुलाई को रखा जाएगा और अगले दिन पारण किया जाएगा।

    पूजा विधि-

    स्कंद षष्ठी के दिन प्रातः जल्दी उठ जाएं और स्नानादि करने के पश्चात भगवान का ध्यान करते हुए सर्वप्रथम व्रत का संकल्प लें।अब भगवान कार्तिकेय के साथ मां गौरी और शिव जी की प्रतिमा को स्थापित करें।घी का दीपक प्रज्वलित कर मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, गाय का घी, इत्र आदि से पूजन करें। अंत में आरती उतारें और क्षमा प्रार्थना करें और पूरे दिन व्रत करें।संध्या के समय पुनः पूजा के बाद आरती करें और इसके पश्चात फलाहार करें।

    स्कंद षष्ठी का महत्व-

    स्कंद षष्ठी के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय जी की पूजा करने से ग्रह बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है, जिससे ग्रहों की अशुभता के कारण होने वाली सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इस दिन विधिपूर्वक पूजन व व्रत करने से व्यक्ति को सुख और वैभव की प्राप्ति होती है। संतान के कष्ट दूर करने की कामना से भी यह व्रत किया जाता है। खासतौर पर दक्षिण भारत में इस तिथि को त्योहार की तरह मनाया जाता है। यहां पर भगवान कार्तिकेय को सुब्रह्मण्यम के नाम से जाना जाता है। इनका प्रिय फूल चंपा है इसलिए इस तिथि को चंपा षष्ठी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया था।