-सीमा कुमारी
समूची दुनिया रहस्य ,रोमांच और अजूबों से भरी है। इन्हीं रहस्यों से भरा भगवान जगन्नाथ जी का विश्व प्रसिद्ध पुरातन मंदिर भारत की पवित्र नगरी पुरी में है। पुरी उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से थोड़ी दूरी पर स्थित है। जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं के चार धामों में से एक माना गया है। यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु पूरी दुनिया से भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। 1100 साल से भी ज्यादा पुराने इस पवित्र मंदिर से जुड़ी ऐसी कई रहस्यमय और चमत्कारी बातें हैं, जो आश्चर्यचकित कर देती हैं। जगन्नाथपुरी मंदिर के उस रहस्य को जिसमें हनुमान जी को सागर तट पर बांध दिया गया था। आइए जानें आखिर ऐसा क्यों हुआ था ?
पौराणिक कथा के अनुसार, जगन्नाथपुरी मंदिर में जब भगवान जगन्नाथ की मूर्ति स्थापित हुई तो उनके दर्शन की अभिलाषा समुद्र को भी हुई। प्रभु दर्शन के लिए समुद्र ने कई बार मंदिर में प्रवेश किया। जब समुद्र मंदिर में प्रवेश करते तो मंदिर को बहुत क्षति होती। समुद्र ने यह धृष्टता तीन बार की। मंदिर की क्षति को देखते हुए भक्तों ने भगवान से मदद के लिए गुहार लगाई। तब भगवान जगन्नाथ जी ने समुद्र को नियंत्रित करने के लिए हनुमान जी को भेजा। पवनसुत हनुमान जी ने समुद्र को बांध दिया।
यही कारण है कि पुरी का समुद्र हमेशा शांत रहता है। लेकिन समुद्र ने एक चतुराई लगाई। उन्होंने हनुमान जी से कहा कि तुम कैसे प्रभु भक्त हो, कि जो कभी दर्शन के लिए ही नहीं जाते। तब हनुमान जी ने सोचा कि बहुत दिन हो गए चलो भगवान के दर्शन कर आएं। जब हनुमान जी भगवान के दर्शन के लिए चले, तो उन्हीं के पीछे-पीछे समुद्र भी चल पड़े। इस तरह जब भी पवनसुत मंदिर जाते तो सागर भी उनके पीछे चल पड़ता। इस तरह मंदिर में फिर से क्षति होनी शुरू हो गई। तब भगवान ने हनुमान जी के इस आदत से परेशान होकर उन्हें स्वर्ण बेड़ी से बांध दिया।