कब है अक्षय तृतीया? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

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    -सीमा कुमारी

    सनातन हिंदू धर्म में ‘अक्षय तृतीया’ (Akshaya Tritiya) का विशेष महत्व है। यह पर्व प्रतिवर्ष वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को देशभर में मनाया जाता है। इस साल ‘अक्षय तृतीया’ 14 मई यानी अगले महीने शुक्रवार को है।

    इस तिथि पर अबूझ मुहूर्त होता है, जिस वजह से किसी भी तरह का शुभ कार्य किया जा सकता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान- पुण्य करना भी शुभ होता है। ‘अक्षय तृतीया’ के पावन दिन सोना खरीदने की परंपरा भी है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोने की खरीदारी करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ‘अक्षय तृतीया’ पर सूर्य और चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं। इस कारण भी इस तिथि को शुभ माना जाता है। ‘अक्षय तृतीया’ पर इन चीजों से जुड़े कार्य कर सकते हैं – वाहन खरीद, गृह प्रवेश करना, आभूषण खरीदना, सोना खरीदना, भूमि-संबंधी कार्य, नए व्यापार का आरंभ आदि। आइए जानें क्या है शुभ मुहूर्त और महत्व…

    शुभ मुहूर्त

    अक्षय तृतीया तिथि: शुक्रवार, 14 मई, 2021 को

    अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त

    शुक्रवार, 14 मई, 2021 को सुबह 05 बजकर 38 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक

    अक्षय तृतीया पूजा की कुल अवधि

    06 घंटे 40 मिनट  

    ‘अक्षय तृतीया’ का महत्व

    सनातन धर्म में ‘अक्षय तृतीया’ का बड़ा महत्व है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, इस पावन दिन पर गंगा स्नान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और इस दिन किसी भी तरह का शुभ कार्य किया जा सकता है। इस दिन पितृ संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है और ‘अक्षय तृतीया’ (Akshaya Tritiya) के पावन दिन सोना खरीदने की परंपरा भी है। जिसे बेहद शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, ‘अक्षय तृतीया’ के दिन किसी भी कार्य की शुरुआत की जाती है, तो उस कार्य में सफलता जरूर मिलती है। इस दिन की गई खरीदारी से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। जीवन भर लक्ष्मी मां की कृपा जातक पर बनी रहती है। ‘अक्षय तृतीया’ के दिन ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। मान्यताएं हैं कि, ‘अक्षय तृतीया’ के दिन ही भगवान विष्णु के चरणों से धरती पर गंगा अवतरित हुई थीं। इसके साथ ही सतयुग, द्वापर युग और त्रेतायुग के आरंभ की गणना ‘अक्षय तृतीया’ से ही मानी गई है।