purnima

    Loading

    सीमा कुमारी

    इस साल आषाढ़ महीना की पूर्णिमा, यानी ‘आषाढ़ी पूर्णिमा’ 24 जुलाई, दिन शनिवार को है। पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि पर ‘गुरू पूर्णिमा’ का पावन पर्व मनाया जाता है।  सनातन धर्म के लोग इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं। क्योंकि, इसी दिन  महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। उन्होंने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था और सभी पुराणों की रचना की थी। उनके महान योगदान को देखते हुए ‘आषाढ़ पूर्णिमा’ को ‘गुरू पूर्णिमा’ (Guru Purnima) के रूप में मनाते हैं। ‘गुरू पूर्णिमा’ के दिन गुरू की पूजा की जाती है। जो व्यक्ति आषाढ़ी पूर्णिमा का व्रत रखते हैं, वे भगवान विष्णु की भी आराधना करते हैं और सत्यनारायण भगवान की कथा भी सुनते हैं। आइए जानें आषाढ़ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और महत्व के बारे में-

    शुभ मुहूर्त:

    पूर्णिमा तिथि प्रारंभ-

    • 23 जुलाई शुक्रवार को सुबह 10:43 बजे
    • पूर्णिमा तिथि समाप्त-
    • 24 जुलाई, शनिवार को सुबह 08:06 बजे

     पूजा-विधि:

    • ‘गुरू पूर्णिमा’ के दिन सुबह उठें, स्नान आदि करके सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य दें। ‘सूर्य मंत्र’ का जाप करें।
    • फिर अपने गुरू का ध्यान करें। इस दिन भागवन विष्णु को जरूर पूजें। उनके अच्युत अनंत गोविंद नाम का 108 बार जाप करना न भूलें।
    • आटे की पंजीरी बनाकर इसका भोग लगाएं। कहते हैं, ऐसा करने से परिवार का स्वास्थ्य उत्तम रहता है।

    महत्व:

    मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान देने वाले गुरु महर्षि वेद व्यास जी के जन्म दिन  के अवसर पर सीगुरू पूर्णिमा’ का पावन पर्व मनाया जाता है।शास्त्रों के मुताबिक, गुरू को भगवान से भी श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि गुरू ही भगवान तक पहुंचने का मार्ग बताते हैं। गुरू के बिना ज्ञान की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। गुरू की कृपा से सब संभव हो जाता है।

    गुरू व्यक्ति को किसी भी विपरित परिस्थितियों से बाहर निकाल सकते हैं। गुरू ही होते हैं, जो शिष्यों को गलत मार्ग पर चलने से बचाते हैं। गुरू के बिना जीवन अकल्पनीय है। कुल पुराणों की संख्या 18 है।  सभी के रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं।