कब है ‘ईद-उल-फितर’? जानें इससे जुड़ा इतिहास

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    -सीमा कुमारी

    इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ‘ईद-उल-फितर’ (Eid-Ul-Fitr)  इस्लाम धर्म का प्रमुख त्यौहार है। ‘ईद-उल-फितर’ को ‘मीठी ईद’ के नाम से भी जाना जाता है। ‘रोज़ा’ समाप्त होने पर ईद का पाक त्यौहार समूचे देश और दुनिया भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, ‘रमज़ान’ के बाद 10वें शव्वाल की पहली तारीख को ‘ईद-उल-फितर’ मनाई जाती है। आमतौर पर ईद का त्यौहार चांद को देखकर मनाया जाता है। इस साल अगर 12 मई को चांद दिखा तो ईद का त्यौहार 13 मई को मनाया जाएगा और, अगर 13 मई को चांद का दीदार हुआ तो ईद 14 मई को मनाई जाएगी।

    हालांकि, बीते साल की तरह इस साल भी कोरोना संक्रमण को देखते हुए मस्जिदों में सीमित लोग ही जा सकेंगे। वहीं सोशल डिस्टेंसिंग के इस समय में गले मिलना और कोई आयोजन करना भी संभव नहीं होगा। बहरहाल, खुशियों का यह त्यौहार, ईद हर साल मीठे पकवान, सेवइयां आदि बनाकर और दोस्तों, परिचितों से गले मिल कर ही मनाया जाता है। भाईचारे का संदेश देते इस खास दिन अपने हों या गैर, सब गले मिल कर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं।

    इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर नए कपड़े पहन कर मस्जिदों यानी ईदगाह में ‘ईद की नमाज़’ अदा की जाती  है। जहां सब कई सफों में इकट्ठा होकर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और, अपने रब का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्हें अपने अल्लाह की ओर से रमज़ान के पाक महीने में इबादत करने का मौका मिला। इस मौके पर मुसलमान अमन-चैन और सबकी बेहतरी की दुआ करते हैं। इसके अलावा ईद के इस मुबारक मौके पर गरीबों, बेसहारा लोगों को फितरा देने की भी एक परंपरा है।

    ‘ईद-उल-फितर’ का इतिहास

    पवित्र कुरान के अनुसार, ‘रमज़ान’ के पाक महीने में रोज़े रखने के बाद अल्लाह एक दिन अपने बंदों को बख्शीश और इनाम देते हैं। बख्शीश के दिन को ‘ईद-उल-फितर’ के नाम से जाना जाता है। इस्लाम की तारीख के मुताबिक ‘ईद-उल-फितर’ की शुरुआत ‘जंग-ए-बद्र’ के बाद हुई थी।

    दरअसल इस जंग में मुसलमानों की फतह हुई थी, जिसका नेतृत्व स्वयं पैगंबर मुहम्मद साहब ने किया था। युद्ध विजय के बाद लोगों ने ईद मना कर अपनी खुशी जाहिर की थी।