Odisha Rath Yatra begins historic Jagannath Rath Yatra in Puri
File Photo

    Loading

    -सीमा कुमारी

    हिंदू धर्म में ‘जगन्नाथ रथ यात्रा’ का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ‘जगन्नाथ रथ यात्रा’ निकाली जाती है। इस साल ‘जगन्नाथ रथ यात्रा’ 12 जुलाई से शुरू होगी जिसका समापन 20 जुलाई को होगा। इसके अलावा, यह हिन्दुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार भी है। इस रथयात्रा का आयोजन उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से होता है। इस यात्रा में भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन, इस बार कोरोना महामारी की वजह से भक्तों को इस यात्रा में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाएगा। 

    शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा का विशाल रथ 10 दिनों के लिए बाहर निकलता है। इस यात्रा में सबसे आगे बलभद्र का रथ चलता है, जिसे ‘तालध्वज’ कहा जाता है। बीच में सुभद्रा का रथ चलता है, जिसे ‘दर्पदलन’ या ‘पद्म रथ’ कहा जाता है। सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है, जिसे ‘नंदी घोष’ कहा जाता है। ऐसे में आइए जानें  इस महापर्व की कुछ खास बातें…

    • मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ को जेठ महीने की पूर्णिमा के दिन जिस कुंए के पानी से स्नान कराया जाता है। वह साल में सिर्फ एक बार ही इसी पावन तिथि पर खुलता है। कुंए से पानी निकालकर दोबारा उसे बंद कर दिया जाता है। भगवान को हमेशा स्नान में 108 घड़ों में पानी से स्नान कराया जाता है।
    • भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘नंदीघोष’ कहते हैं, जिसकी ऊंचाई 45.6 फुट होती है। बलराम के रथ का नाम ‘ताल ध्वज’ और उंचाई 45 फुट होती है, वहीं सुभद्रा का दर्पदलन रथ 44.6 फुट ऊंचा होता है। अक्षय तृतीया से नए रथों का निर्माण आरंभ हो जाता है। हर साल नए रथों का निर्माण किया जाता है।कहते हैं कि, इन रथों को तैयार करने में किसी कील या अन्य किसी धातु का इस्तेमाल नहीं होता है।
    • कहा तो ये भी जाता है कि, प्रत्येक वर्ष भगवान जगन्नाथ सहित बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएं नीम की लकड़ी से ही बनाई जाती है। इसमें रंगों का भी ख़ास ध्यान दिया जाता है। भगवान जगन्नाथ का रंग सांवला होने के कारण नीम की उसी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता जो सांवले रंग की हो। वहीं उनके भाई-बहन का रंग गोरा होने के कारण उनकी मूर्तियों को हल्के रंग की नीम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है।
    • पंडितों के अनुसार, तीनों के रथ का निर्माण और आकार भिन्न-भिन्न होता है। रथ नारियल की लकड़ी से बनाया जाता है। भगवान जगन्नाथ का रथ अन्य रथों कि तुलना में बड़ा होता है, और रंग लाल-पीला होता है। भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे पीछे चलता है पहले बलभद्र फिर सुभद्रा का रथ होता है।