कब है दूसरा ‘प्रदोष व्रत’? जानें इसका शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और महत्व

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    सनातन हिंदू धर्म में ‘प्रदोष व्रत’ का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि को ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh vrat) आता है। ‘प्रदोष व्रत’ महीने में दो बार रखा जाता है। मान्यताएं हैं कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और देवतागण उनका गुणगान करते हैं। कहा तो ये भी जाता है कि ‘प्रदोष व्रत’ रखने और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। चैत्र महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी, इस महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 24 अप्रैल, शनिवार को है। शनिवार का दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार,  इस दिन निर्मल हृदय से भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं और सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। प्रदोष व्रत की पूजा सदैव प्रदोष काल यानी, शाम के समय में की जाती है। आइए जानें ‘प्रदोष-व्रत’ का  शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, महत्व –

    शनि प्रदोष व्रत तिथि शुभ मुहूर्त-

    चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि आरंभ- 24 अप्रैल 2021 दिन शनिवार की शाम 7 बजकर 17 मिनट से चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्त- 25 अप्रैल 2021 दिन रविवार शाम 04 बजकर 12 मिनट पर प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के समय की जाती है इसलिए प्रदोष व्रत 24 को किया जाएगा। पूजा का समय 24 अप्रैल शाम 07 बजकर 17 मिनट से रात 09 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।

    पूजा विधि-

    ‘प्रदोष व्रत’ में प्रातःकाल पूजा तो की ही जाती है इसके अलावा, शाम के समय पूजन करने का विशेष प्रावधान है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके निवृत्त हो जाएं। ‘प्रदोष-व्रत’ के दिन ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए। भगवान शिव को प्रणाम करें  और धूप दीप जलाएं इसके बाद व्रत का संकल्प करें। भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें और फिर गंगाजल से स्नान कराएं। इस बात का जरूर ध्यान रखें कि शिव जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग बिल्कुल न करें। पूजा होने के बाद उसी आसन पर बैठकर शिव चालीसा या शिव मंत्रों का जाप करें। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने और भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

    प्रदोष का व्रत महत्व-

    सनातन हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन व्रत और पूजन करने से भगवान शिव की असीम कृपा भक्तों पर सदैव बनी रहती है। भक्तों के जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं। शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने से शनि के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। मान्यता तो ये भी है कि शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा- पाठ करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है।

    -सीमा कुमारी