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    -सीमा कुमारी

    सावन का पावन महीना भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है। सावन के सोमवार के साथ ही सावन महीने की शिवरात्रि का भी विशेष महत्व होता है। इस साल सावन शिवरात्रि 6 अगस्त, यानी अगले शुक्रवार को पड़ रही है। सावन का महीना धार्मिक दृष्टि से बहुत ही खास एवं शुभ माना जाता है। सावन के इस पावन महीने में भगवान के शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन में भगवान शिव की विधिवत पूजा-उपासना करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती है।

    इस महीने की ‘शिवरात्रि’ का विशेष महत्व होता है। सावन शिवरात्रि कई गुना फल प्रदान करने वाली तिथि मानी गई है। आइए जानें सावन शिवरात्रि की तिथि, पूजन के बारे में…

    शुभ मुहूर्त-

    सावन मास की चतुर्दशी तिथि 06 अगस्त की शाम 06 बजकर 28 मिनट से आरंभ होगी। जो कि अगले दिन 07 अगस्त की शाम 07 बजकर 11 मिनट तक रहेगी।

    व्रत-विधि

    ‘शिवपुराण’ के अनुसार,   शिव भक्तों को मासिक शिवरात्रि पर उपवास और शिवलिंग पर जलाभिषेक कर भोले भंडारी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। शिवरात्रि पर सुबह जल्दी स्नान करने के बाद पास के शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की विधिवत आराधना करनी चाहिए। शिव पूजा में प्रयोग की जानी वाली सभी तरह की सामग्रियों को भोलेभंडारी को अर्पित करें। अगले दिन अपना व्रत तोड़कर शिव पूजा संपन्न हो जाती है। 

    ‘सावन शिवरात्रि’ का महत्व

    ‘सावन शिवरात्रि’ पर भगवान शंकर पर जलाभिषेक किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस प्रमुख शिव मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ किया जाता है। गंगाजल से शिवलिंग पर जलाभिषेक कर हर तरह की मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद लिया जाता है। मान्यता है जो भी शिवभक्त सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ का जलाभिषेक करता है उसकी सभी तरह की इच्छाएं जरूर पूरी होती है।

    ‘सावन मासिक शिवरात्रि’ पर भगवान शिव को भांग धतूरा, बेलपत्र और गंगा जल अर्पित करें। इसीलिए जो इस माह में शिव पर गंगाजल चढाते हैं, वे देव तुल्य होकर जीवन मरण के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। मानसिक परेशानी, कुंडली में अशुभ चन्द्र का दोष, मकान-वाहन का सुख और संतान से संबधित चिंता शिव आराधना से दूर हो जाती है। इस माह में सर्पों को दूध पिलाने कालसर्प-दोष से मुक्ति मिलती है और उसके वंश का विस्तार होता है।

    ‘ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं।  

    ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करते हुए शिव आराधना करें।