क्यों अर्पित किया जाता है सूर्य देव को जल, जानें इसके लाभ

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    -सीमा कुमारी  

    सनातन हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य का विशेष महत्व है। सूर्य को प्रत्यक्ष देवता भी माना जाता है क्योंकि हर दिन इनके दर्शन प्राप्त होते हैं। सनातन धर्म में सूर्य को जल देने की परंपरा भी है। वैदिक काल से चली आ रही यह परंपरा आज भी हिन्दू धर्म में निभाई जाती है। सूर्य की पूजा भगवान राम प्रत्येक दिन किया करते थे। शास्त्रों में भी बताया गया है कि हर दिन सूर्य को जल देना चाहिए। बहुत से ऐसे लोग इस नियम का पालन नित्य करते हैं। ज्योतिष में बताया गया है कि जिस किसी की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उसे प्रतिदिन सूर्य को जल  देना चाहिए। शास्त्रों में भी कहा गया है कि हर दिन सूर्य को नियमों का पालन करते हुए जल देना चाहिए। अगर आप नियमानुसार सूर्य को जल दें तो इसके कई लाभ  मिल सकते हैं। आइए जानें उन लाभों के बारे में –

    • ऐसा कहते हैं कि सुबह सूर्य देव को जल अर्पित करने से शरीर स्वस्थ रहता है। रोगों से मुक्ति मिलती है और दिन सुखमय गुजरता है।
    • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य को नियमित जल देने से सूर्य का प्रभाव शरीर में बढ़ता है और यह आपको ऊर्जावान बनाता है। कार्यक्षेत्र में भी इसका आपको लाभ मिलता है।
    • अर्घ्य देते समय हाथ सिर से ऊपर होने चाहिए। ऐसा करने से सूर्य की सातों किरणें  शरीर पर पड़ती हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करने से नवग्रह की भी कृपा रहती है।
    • सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। अगर कभी ऐसा हो कि सूर्य नजर ना आए तब भी उसी दिशा की ओर मुख करके ही जल अर्घ्य दें।
    • सूर्य को जल देने से पहले जल में चुटकी भर रोली या लाल चंदन मिलाएं और लाल पुष्प के साथ जल दें।
    • सूर्य को जल देते समय लाल वस्त्र पहनें। लाल कपड़ों में अर्घ्य देना अच्छा माना गया है।
    • कहते हैं कि सूर्य देव को तांबे के बर्तन से जल अर्पित करना चाहिए। ऐसे में रोशनी पानी से होकर जाती है और सूर्य की सात किरणों में विभाजित हो जाती है (जिसे सूर्य भगवान के सात घोड़े भी कहा जाता है)। ऐसा करने से शरीर की सारी नकारात्मकता पॉजिटिविटी में बदल जाती है।
    • शास्त्रों के अनुसार, सूर्य देव की कृपा पाने और कुंडली में सूर्य की अनुकूलता बनाएं रखने के लिए प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इससे समाज में मान-सम्मान मिलता है।