International team of scientists detected first potential radio signals coming from planets outside the solar system

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वाशिंगटन: वैज्ञानिकों (Science) के अंतरराष्ट्रीय दल ने संभवत: पहली बार हमारे सौर मंडल (Solar System) के बाहर स्थित ग्रह से आ रहे रेडियो संकेतों (Radio Signal) का पता लगाया है। यह संकेत 51 प्रकाशवर्ष दूर स्थित ग्रह प्रणाली से आ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि नीदरलैंड (Netherlands) स्थित रेडियो दूरबीन ने लो फ्रिक्वेंसी अर्रे (Low Frequency Array) (लोफर) (LOFAR) का इस्तेमाल कर टाउ बूट्स तारे की प्रणाली से आ रहे रेडियों संकेतों का पता लागया है जिसके बहुत करीब गैस से बना ग्रह चक्कर लगा रहा है और जिसे कथित ‘गर्म बृहस्पति’ के नाम से भी जाना जाता है।

अमेरिका (America) स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी (Cornell University) के अनुसंधानकर्ताओं (Researchers) के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने कर्क और अपसिलोन एंड्रोमेडे तारामंडल के संभावित ग्रहों से आ रहे रेडियो संकेतों का भी पता लगाया है। हालांकि, जर्नल ‘एस्ट्रोमी ऐंड एस्ट्रोफिजिक्स’ (Astronomy & Astrophysics) में प्रकाशित अनुसंधान पत्र में बताया गया कि केवल टाउ बूट्स (Tau Bootes) ग्रह प्रणाली से ही निकल रहे रेडियो संकेत का पता चला है जो संभवत: ग्रह के विशेष चुंबकीय क्षेत्र की वजह से निकल रहे हैं। कॉर्नेल में पोस्टडॉक्टरोल अनुसंधानकर्ता जेक डी टर्नर ने कहा, ‘‘ रेडियो संकेत के जरिये हमले पहली बार सौर मंडल के बाहर ग्रह का पहला संकेत पेश किया है।”

उन्होंने कहा, ‘‘ ये संकेत टाउ बूट्स प्रणाली से आ रहे हैं जिसमें दो तारे और ग्रह है। हमने ने ग्रह द्वारा संकेत आने का मामला पेश किया है।” अनुसंधानकर्ता ने कहा कि अगर इस ग्रह की पुष्टि बाद के अध्ययन से होती है तो रेडियो संकेतों के जरिये सौर मंडल के बाहर के ग्रहों का पता लगाने का एक नया मार्ग खुलेगा और सैकड़ों प्रकाशवर्ष दूर की दुनिया के बारे में जानने का नया तरीका मिलेगा।

टर्नर ने कहा कि चुंबकीय क्षेत्र के आधार पर सौर मंडल के बाहर के ग्रह का पता लगाने से अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को उस ग्रह की बनावट और वायुमंडल के गुणों का पता लगाने में भी मदद मिलेगी, साथ ही तारे और उसका चक्कर लगा रहे ग्रहों के भौतिक संबंध भी समझने में सहूलियत होगी।

उल्लेखनीय है कि पृथ्वी का चुंबीय क्षेत्र सौर तूफानों के खतरों से बचाता है और इस ग्रह को जीवन लायक बनाता है। टर्नर ने कहा, ‘‘सौर मंडल के बाहर के ग्रह पर पृथ्वी जैसा चुंबकीय क्षेत्र संभावित जीवन योग्य अवस्था में योगदान दे सकता है क्योंकि यह उसके वायुमंडल को सौर तूफान और ब्रह्मांड के घातक किरणों से बचाता है और ग्रह के वायुमंडल को नष्ट होने से भी रोकता है।”

उल्लेखनीय कि दो साल पहले टर्नर और उनके साथियों ने बृहस्पति ग्रह से आ रहे रेडियो संकेतों का अध्ययन किया था और उसी तरह के संकेत सौर मंडल के बाहर के ग्रह से आने से अनुमान है कि वह भी सौर मंडल के बृहस्पति ग्रह जैसा होगा। बृहस्पति और अन्य ग्रहों से आने वाले रेडियो संकेत के नमूने ब्रह्मांड में पृथ्वी से 40 से 100 प्रकाशवर्ष दूर स्थित ग्रहों का पता लगाने में मददगार है।