स्पेशल ट्रेन के बाद अब बस सफर भी आम आदमी की पहुंच के बाहर होगा

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सरकार की सोच में ऐसा आम आदमी कहीं भी नहीं है जिसकी आय अत्यंत सीमित है. देश को अमेरिका (America) और जापान जैसा चमक-दमक वाला बनाने का विचार तो अच्छा है लेकिन सामान्य जनता की हालत यह है कि घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने! लाकडाउन की वजह से बेरोजगारी, छंटनी व उद्योग बंद होने से लोगों की कमर टूट गई, लेकिन सरकार की सोच हिमालय से भी ऊंची होती चली जा रही है. पहले स्पेशल ट्रेनें शुरू की गईं और अब देशभर में एसी लग्जरी बसों (Luxury Buses) का बेड़ा खड़ा करने के लिए केंद्र सरकार सार्वजनिक सड़क परिवहन (Indian Government) में सुधार करने की तैयारी में है. उद्देश्य यह है कि सभी राज्यों के यात्री सुरक्षित व आरामदेह सफर का आनंद उठा पाएं. ऊंचे दर्जे की लग्जरी बसों से देश-विदेश के पर्यटकों को सड़क मार्ग से प्रवास करने के लिए आकर्षित किया जा सकेगा. आम जनता के लिए सामान्य बसों का सफर ही सुरक्षित कर दिया जाए तो काफी होगा.

क्या सड़कें इस लायक हैं

देश भर में लग्जरी बसें चलाने का अरमान अपनी जगह है परंतु क्या सड़कें इस लायक हैं? सड़कों का मेंटनेंस भी सही तरीके से नहीं होता. गड्ढे वाली ऊबड़-खाबड़ सड़कों की हालत तो पहले सुधारी जाए. यह सही है कि नई सड़कें व फोरलेन मार्ग बन रहे हैं लेकिन कितनी ही पुरानी सड़कों को मरम्मत या नए सिरे से बनाने की दरकार है. जब भारी वजन लेकर बड़े-बड़े ट्रक व कंटेनर चलते हैं तो सड़क भी उस हिसाब से मजबूत बनाने की आवश्यकता है. यदि एयरपोर्ट के रनवे जैसी मजबूत सड़कें बना दी जाएं तो कहना ही क्या! कितनी ही दुर्घटनाएं सड़क खराब होने और गाड़ी को गड्ढे में जाने से बचाने के चक्कर में होती हैं. यातायात नियमों का भी कड़ाई से पालन आवश्यक है. कितने ही ड्राइवर इस बारे में गंभीर नहीं हैं. विदेश में वाहन लालबत्ती देखते ही रुक जाते हैं, चाहे वहां कोई पुलिसकर्मी मौजूद हो या न हो. स्पीड लिमिट का भी ध्यान रखा जाता है. हमारे यहां रास्ते में कहीं भी ट्रक खड़ा कर दिया जाता है जिसमें रिफ्लेक्टर या लाल निशान न रहने पर पीछे से आ रही गाड़ी टकरा जाती है. जहां कोई गांव या कस्बा नजर आया, वहां सड़कों पर बाजार लगा रहता है और अनियंत्रित भीड़ रहती है. इसलिए भारत की स्थितियां कम आबादी वाले पश्चिमी देशों से काफी अलग हैं.

पर्यटन का शौक बढ़ा है

4-5 दशक पहले लोग सिर्फ जरूरी काम, रिश्तेदारों से मिलने या तीर्थयात्रा के लिए घर से बाहर निकलते थे लेकिन विगत दशकों में पर्यटन के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है. इस शौक के साथ पास में धन होना भी जरूरी है. अमेरिका में यूं तो हर परिवार के पास कई कारें हैं परंतु पर्यटन के शौकीन लोग ग्रेहाउंड लग्जरी बसों में या कैरेवान लेकर सफर करना पसंद करते हैं. रास्ते में रात को रुकने, खाने-पीने व विश्राम के लिए मोटेल की व्यवस्था है. वहां गाड़ी रोकने के लिए शोल्डर तथा एक्जिट की व्यवस्था है. ट्रकों की लेन बिल्कुल अलग है. भारत में भी एसी बसों का बेड़ा खड़ा करने के साथ ही ऐसी सुविधाएं जुटानी होंगी. वैसे रोड साइड ढाबे में भी खाना अच्छा मिलता है और देश के विभिन्न प्रदेशों के खानपान में विविधता भी है.

सफर तो महंगा होना ही है

जब पेट्रोल-डीजल लगातार महंगा होता जा रहा है तो एसी बसों का सफर महंगा होना ही है. यह अच्छी बात है कि सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) सड़क सुरक्षा कानून मजबूत करने तथा 2019 में बने नए यातायात कानूनों को सख्ती से लागू करवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. नशे की हालत में गाड़ी चलाने, ओवरलोडिंग, ओवर स्पीडिंग, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करने, सीट बेल्ट नहीं लगाने, लाल बत्ती का उल्लंघन करने जैसे मामलों में जुर्माना बढ़ाया गया है. बसों में अकेली सफर करने वाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए बसों में पैनिक बटन, सीसीटीवी कैमरे तथा ऑनलाइन निगरानी का प्रावधान है.