ओबामा के राहुल पर बयान से बवाल

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जरूरी नहीं है कि भारत के किसी नेता की काबिलियत या क्षमता का मूल्यांकन विदेशी चश्मे से किया जाए. अमेरिका के शीर्ष नेता ग्लोबल दृष्टिकोण रखते हुए अपनी बात कहते हैं. वे भारतीय राजनीति की जटिलताओं से उतने वाकिफ भी नहीं रहते. अमेरिका में रिपब्लिकन व डेमोक्रेटिक जैसी 2 मुख्य पार्टियां हैं जबकि भारत में बीजेपी और कांग्रेस (Congress) के अलावा भी ढेर सारी क्षेत्रीय या छोटी पार्टियां हैं. भारत में चुनाव प्रचार के मुद्दे भी पश्चिमी देशों की तुलना में भिन्न रहा करते हैं. इसलिये यदि कोई विदेशी नेता भारत के संदर्भ में टिप्पणी करता है तो उसे अक्षरश: सही नहीं माना जा सकता.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा (Barack Obama) ने अपनी आत्मकथा ‘ए प्रॉमिस्ड लैंड’(A Promised Land) में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul gandhi)  का उल्लेख करते हुए ‘नर्वस और कम योग्यता वाला’ बताया है. ओबामा मानते हैं कि राहुल को जिम्मेदार और परिपक्व होने में समय लगेगा. उन्होंने राहुल को अनगढ़ गुणवत्ता (अनफार्म्ड क्वालिटी) वाला व्यक्ति बताया और कहा कि राहुल गांधी एक ऐसे विद्यार्थी के समान हैं जो अपने शिक्षक को प्रभावित करने की कोशिश करता है किंतु अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति (एप्टीट्यूड) और विषय पर महारत हासिल करने की क्षमता में कमजोर है. ओबामा ने अनेक अमेरिकी व विश्व नेताओं पर अपना मूल्यांकन इस पुस्तक में पेश किया, जिनमें राहुल गांधी के अलावा सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह व ब्लादिमीर पुतिन पर भी उनके विचार शामिल हैं.

कुछ मिनटों की मुलाकात से किसी को जानना संभव नहीं

कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा कि ओबामा का मूल्यांकन उचित नहीं है. ओबामा जब भारत आए थे तो उन्होंने राहुल गांधी से बहुत ही सीमित समय या चंद मिनटों की मुलाकात की थी. ऐसे में किसी व्यक्ति के बारे में कुछ मिनटों की भेंट के आधार पर राय बनाना सही नहीं है. राहुल गांधी में उस समय से लेकर काफी बदलाव हुए हैं. वह काफी परिपक्व हुए हैं और अपनी नेतृत्व क्षमता को भी उन्होंने साबित किया है. इसी तरह तमिलनाडु में कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि जिस तरह से ओबामा ने राहुल गांधी पर टिप्पणी की है, वह दुखद है. टैगोर ने कहा कि वह 2009 से ओबामा को ट्विटर पर फालो करते आए हैं लेकिन अब वह ओबामा को अनफालो करने का अभियान चलाएंगे. कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस किसी भी व्यक्तिगत लेखक की किताब को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करती. मीडिया का एक वर्ग प्रायोजित तरीके से इस किताब को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ अभियान चला रहा है.

बीजेपी को प्रोत्साहन मिला

देश में पहले से राहुल गांधी को नासमझ और अपरिपक्व करार देने के सुनियोजित अभियान के तहत बीजेपी के लोग उन्हें ‘पप्पू’ कहते आए हैं. उनका रवैया प्रधानमंत्री मोदी को अत्यंत सक्षम और राहुल गांधी को निहायत नाकारा, अयोग्य व बुद्धू बताने का रहा है. जनमानस को अपने तरीके से प्रभावित करने की यह एक सोची समझी रणनीति है जिससे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ इतने वर्षों से दुष्प्रचार किया जाता रहा है. इसका असर यह हो रहा है कि राहुल की तथ्यों व तर्कों पर आधारित बातें व महत्वपूर्ण बयान भी गंभीरता से नहीं लिए जाते. अब ओबामा की आत्मकथा ने बीजेपी नेताओं को राहुल के खिलाफ चुटकी लेने का मुंहमांगा अवसर दे दिया. केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि राहुल की जैसे ही देश में बेइज्जती कम होने लगती है, वो विदेश से करवा लेते हैं. केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि किसी की बेवकूफियों के चर्चे अंतरराष्ट्रीय हो जाएं तो कह सकते हैं- आजकल उनकी बेवकूफी के चर्चे हर जुबान पर हैं, सबको मालूम है और सबको खबर हो गई. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी पर तंज करते हुए कहा, ‘नर्वस और कम गुणवत्ता वाला, बोलो कौन?’