Action on corrupt ministers in Punjab, fire on AAP's reputation

    Loading

    क्या आम आदमी पार्टी को मंत्री बनाने के लिए ईमानदार, कर्मठ और चरित्रवान चेहरे नहीं मिलते? समाजसेवी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उपजे अरविंद केजरीवाल की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे अपनी पार्टी की सरकार में निष्कलंक मंत्रियों को स्थान दें. खेद है कि चाहे दिल्ली हो या पंजाब की सरकार, आम आदमी पार्टी ने कुछ ऐसे लोगों को मंत्री बनाया जिन पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का गंभीर आरोप है. इससे न केवल सरकार बदनाम होती है बल्कि पार्टी की छवि पर भी आंच आती है. लालची, भ्रष्ट और मोटी रकम की जबरन वसूली करनेवाले मंत्री किसी डाकू से कम नहीं होते. वे अपने विभाग की ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता से जिम्मेदारी संभालने की बजाय अंधाधुंध कमाई में लगे रहते है. जनता के पालनहार बनने की बजाय शोषक की भूमिका निभाते हैं. जिम्मेदारी है, उसे ही उजाड़ने से वे बाज नहीं आते.

    पंजाब की भगवंत मान के नेतृत्ववाली ‘आप’ सरकार में खाद्य और बागवानी विभाग संभालनेवाले कैबिनेट मंत्री फौजासिंह सरारी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. फौजासिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. सरकारी अधिकारियों की मदद से कुछ ठेकेदारों से जबरन वसूली के मामले में एक करीबी सहयोगी के साथ उनकी कथित बातचीत का ऑडियो क्लिप वायरल हुआ था. मंत्री ने आरोपों का खंडन करते हए इस लीका हुए वीडियो के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. फौजासिंह सरारी ‘आप’ सरकार में मंत्री पद गंवानेवाले दूसरे मंत्री हैं. इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री डा. विजय सिंगला को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया गया था.

    मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फौजासिंह ने कहा कि वह व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं. वह पार्टी के वफादार सिपाही हैं और हमेशा रहेंगे. दिल्ली में केजरीवाल की ‘आप’ सरकार में मंत्रियों के नाम विवादों में घिरे रहे. कोई सीडी कांड में फंसा तो किसी को रिश्वत मामले में जेल जाने की नौबत आई. 9 साल पहले राजनीतिक मैदान में आनेवाली आम आदमी पार्टी के 4 मंत्रियों को अब तक गिरफ्तार किया गया. सत्येंद्र जैन के अलावा संदीपकुमार, विजय सिंगला, जितेंद्र कुमार तोमर के नाम विवादों में आए. 2 मंत्रियों पर रिश्वत लेने का आरोप है. जितेंद्र तोमर को वकालत की फर्जी डिग्री मामले में पकड़ा गया था. मंत्री संदीप कुमार पर राशन कार्ड बनवाने आई महिला से दुष्कर्म का आरोप था.

    प्रवर्तन निदेशालय ने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया. ईडी जैन की 4.8 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है. जैन के परिवार के लोग कुछ ऐसी फर्म से जुड़े थे जो प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग के तहत जांच के दायरे में हैं. ईडी की जांच में पता चला है कि साल 205-16 के दौरान जब सत्येंद्र कुमार जैन एक लोक सेवक थे. तब उनके द्वारा लाभकारी स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनियों को कोलकाता स्थित कैश हस्तांतरण के खिलाफ शेल कंपनियों से 4.8 करोड़ रुपये की प्रविष्टियां मिली. इस पेसे का उपयोग भूमि की सीधी खरीद के लिए या दिल्ली और उसके आसपास कृषि भूमि की खरीद के लिए लिए गए ऋण की अदायगी के लिए किया गया था.

    जैन पर अधिकारों के दुरुपयोग के भी कई आरोप लग चुके हैं. सत्येंद्र जैन की बेटी सौम्य जैन को मोहल्ला क्लिनिक के लिए सलाहकार नियुक्त किए जाने के मामले ने भी काफी तूल पकड़ा था. इस मामले की जांच सीबीआई तक को दी गई थी. साल 2018 में दिल्ली सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री आसिम अहमद खान का नाम भी भ्रष्टाचार के मामले में सामने आया था. उन पर 6 लाख रुपये के रिश्वत लेने का आरोप लगा था.