बंगाल, महाराष्ट्र के बाद तेलंगाना के CM ने भी प्रोटोकॉल तोड़ा प्रधानमंत्री के आने पर अनुपस्थित

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    देश में प्रधानमंत्री और विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के संबंधों में खटाई पड़ चुकी है. कभी यह संबंध सामान्य और सौजन्यपूर्ण रहा करते थे और प्रोटोकाल का पूरी सहजता से भलीभांति पालन किया जाता था लेकिन जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, विपक्षी पार्टियों के सीएम के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है. न तो ये मुख्यमंत्री मोदी को पसंद करते हैं और न मोदी उन्हें बर्दाश्त करते हैं.

    क्या गणतंत्र में ऐसा दुराव होना चाहिए जहां कि केंद्र के साथ ही राज्यों को भी संविधान में पूरा महत्व दिया गया है? यह बात तो बीजेपी के शीर्ष नेताओं को भी समझनी चाहिए कि देश के हर राज्य में उनकी पार्टी या गठबंधन की सरकार नहीं हो सकती. विपक्ष का भी अपना प्रभाव क्षेत्र है और विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां काफी मजबूत स्थिति में हैं. ‘घर-घर मोदी’ का नारा पार्टी प्रचार के लिए अच्छा है लेकिन यह समूचे देश में लागू नहीं हो सकता. सहिष्णुता की कमी की वजह से केंद्र और विपक्ष शासित प्रदेशों के बीच टकराव बना हुआ है.

    आमना-सामना टालते हैं मुख्यमंत्री

    बंगाल और महाराष्ट्र के बाद तेलंगाना के सीएम ने भी प्रोटोकाल तोड़ा. अपने राज्य में प्रधानमंत्री के दौरे के समय ये मुख्यमंत्री अनुपस्थित रहते हैं और खुद किसी दौरे या कार्यक्रम में व्यस्त हो जाते हैं. विपक्षी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों की यह अनुपस्थिति जानबूझकर होती है ताकि पीएम का स्वागत न करना पड़े और आमना-सामना टाला जा सके. मोदी के बंगाल दौरे के समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तथा महाराष्ट्र दौरे के वक्त उद्धव ठाकरे ने ऐसा ही रुख अपनाया था. अब यही बात तेलंगाना में हुई. वैसे कायदे से मुख्यमंत्री को राजधानी में मौजूद रहकर पीएम का स्वागत करना चाहिए परंतु यह प्रोटोकाल लगातार टूट रहा है.

    जिस राज्य में जाते हैं वहां की व्यवस्था के खिलाफ बोलते हैं

    प्रधानमंत्री मोदी भी कोई मौका नहीं छोड़ते. वे विपक्ष शासित जिस राज्य में जाते हैं, वहां की व्यवस्था और व्यक्ति के खिलाफ बोलते हैं. वहां के सीएम और सरकार पर तंज कसते हैं और तरह-तरह की खामियां निकालते हैं. मोदी जताना चाहते हैं कि सुशासन और आदर्श व्यवस्था अगर कहीं है तो केवल बीजेपी शासित राज्यों में, बाकी राज्यों में भारी भ्रष्टाचार और कुशासन है. न केवल प्रधानमंत्री, बल्कि अन्य केंद्रीय मंत्रियों का भी विपक्ष शासित राज्यों को लेकर ऐसा ही नकारात्मक रवैया बना हुआ है.

    देश में बीजेपी के एकछत्र शासन के मकसद से ही तो बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने कांग्रेस मुक्त भारत की बात कही थी. पीएम का ऐसा आक्रामक रवैया देखते हुए इस तरह की असहज स्थिति से बचने के लिए मुख्यमंत्री अब किनारा करने लगे हैं. तेलंगाना दौरे में प्रधानमंत्री ने कहा कि अंधविश्वासी लोग तेलंगाना का विकास नहीं चाहते. ऐसे लोगों से हमें इस राज्य को बचाना है.

    कद ऊंचा रखना है तो छींटाकशी न किया करें

    पीएम को अपना कद ऊंचा व सम्मानजनक बनाए रखना है तो उन्हें राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर गाहे-बगाहे छींटाकशी नहीं करनी चाहिए. दोनों पदों की आपस में कोई बराबरी नहीं है. बंगाल के विधानसभा चुनाव के समय तो ‘मोदी विरुद्ध ममता’ का ही नजारा देखा गया था. वे अपनी हर रैली में ममता को ‘दीदी ओ.. दीदी’ पुकार कर ललकारते थे. ताली दोनों हाथों से बजती है. जब किसी को कहोगे तो जवाब में सुनने की भी तैयारी रखनी चाहिए.