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    अडानी समूह को लेकर आयी हिंडबर्ग रिपोर्ट से समूचा शेयर बाजार ताश के पत्ते की तरह हिलने लगा. 28 लाख करोड़ रुपये वाले अडानी ग्रुप के बारे में अमेरिका की रिसर्च फर्म हिंडबर्ग ने खुलासा किया कि यह हेरफेर और अकाउंटिंग की धोखाधड़ी के बल पर टिका साम्राज्य है. हिंडबर्ग ने यह भी दावा किया कि दो वर्षों तक उसके सैकड़ों रिसर्चर्स लाखों पेजों के दास्तावेज से गुजरे हैं, सैकड़ों वित्तीय विशेषज्ञों से आमने सामने बातें की हैं, दर्जनों अडानी समूह से जुड़े रहे तथा भारत के कारपोरेट जगत को नजदीक से जानने वाले लोगों से जानकारियां इकट्ठी की हैं और सोशल मीडिया से लेकर रेगुलर मीडिया तक हजारों लोगों की राय और लाखों मीडिया रिपोर्टोंं को खंगाला है. उस सबके आधार पर हम इस निष्कर्ष में पहुंचे हैं कि अडानी समूह पारिवारिक साजिशों, मनी लांड्रिंग, मुखौटा कंपनियों के द्वारा की गई चालबाजियों से फला फूला साम्राज्य है. इसके सारे शेयर ओवर वैल्यूड है.

    हिंडबर्ग रिपोर्ट के मुताबिक इस समूह के संस्थापक और इसके अध्यक्ष गौतम अडानी ने पिछले तीन वर्षों में 120 बिलियन डॉलर का शुद्ध मूल्य अर्जित किया है, जिसमें 100 बिलियन डॉलर तो पिछले तीन वर्षों में ही हासिल हुए हैं. खुलासे के मुताबिक इस दौरान अडानी समूह की कंपनियों को 819 फीसदी का लाभ हुआ है. हिंडबर्ग ने अपनी जांच रिपोर्ट में दावा किया है कि अडानी समूह की ज्यादातर संपत्तियां मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात और कैरेबियाई देशों में स्थित मुखौटा कंपनियों और टैक्स हैवेन गतिविधियों का नतीजा है. रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक बाजार में हेराफेरी करने का भी गंभीर आरोप लगाया गया है. हिंडबर्ग के इन खुलासों के बाद शेयर बाजार में अफरातफरी का तूफान आना ही था. इस रिपोर्ट के आने के पहले ही दिन यानी जब तक ज्यादातर लोगों को इस सबके बारे में पता ही नहीं था, अडानी समूह को 80 हजार करोड़ रुपये की चपत लग गई और वह हिचकोले खाने लगा.

    अडानी समूह पर तूफान की इस मार ने दूसरी कंपनियों को भी नहीं बख्शा. कुल मिलाकर इस रिपोर्ट के आने के बाद पहले ही दिन में शेयर बाजार में करीब 2 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गये. लेकिन बात यहीं नहीं रुकी. गौतम अडानी की नेटवर्थ में ही अकेले 27 जनवरी 2023 तक करीब 2 लाख करोड़ की कमी आ चुकी थी. जो गौतम अडानी दुनिया के रईसों में तीसरे नंबर पर थे, वह एक झटके में ही फिसलकर सातवें पायदान पर आ गये. यही नहीं 27 जनवरी को अडानी समूह पहली बार आईपीओ की तर्ज पर एफपीओ यानी फालो ऑन पब्लिक ऑफर लेकर आ रहा था. शायद कंपनी को यह सपने में भी उम्मीद नहीं रही होगी कि जिस तूफान ने उसे 25 जनवरी को ही अपनी गिरफ्त में ले लिया था, 27 जनवरी को वह उसे पकड़कर झिझोड़ देगा.

    वाकई 27 जनवरी का दिन तो किसी कयामत के तूफान से कम नहीं था. इस तूफान से अकेले इसी दिन अडानी समूह को 2 लाख करोड़ रुपये का और शाम होते तक यह समूह पिछले तीन दिनों में 4. 50 लाख करोड़ रुपये के घाटे में आ चुका था. सबसे बड़ी बात यह है कि इसका खामियाजा अकेले इस समूह को ही नहीं भुगतना पड़ा बल्कि इसके चलते उन आम निवेशकों का भी बंटाधार हुआ, जिसकी खून पसीने की कमाई शेयर बाजार में लगी हुई थी. 106 पन्ने की इस रिपोर्ट के आने के बाद एलआईसी के, जिसमें शुद्ध रूप से आम लोगों का पैसा लगा हुआ है, 18,647 करोड़ रुपये डूब गये. 24 जनवरी को एलआईसी का जो पूंजीकरण 81,268 करोड़ रुपये था, वह महज दो दिन बाद घटकर सिर्फ 62,621 करोड़ रुपये रह गया. महज दो कारोबारी सत्र में इतनी बुरी हालत हो गई.

    अडानी समूह के शेयर 5 से लेकर 27 फीसदी तक और अगर समग्रता में बात करें तो 20 फीसदी तक शेयर भाव गिर गये. इस बीच अडानी समूह के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि हिंडबर्ग रिपोर्ट पूरी तरह से झूठी है. इस पर हिंडबर्ग ने अडानी समूह को चुनौती कि वह अमरीका में कोर्ट में आएं. दरअसल इस रिसर्च संस्था ने यह भी कहा कि अगर आप वाकई गंभीर हैं, तो कोर्ट में आइये इससे आपको वो दस्तावेज तो दिखाने ही पड़ेंगे, जिन्हें हमने गलत बताया है. हिंडबर्ग ने अडानी समूह से 88 सवाल पूछे थे और इस समूह ने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया. अगर इस रिपोर्ट को नियामक संस्थाएं गंभीरता से नहीं लेतीं तो इससे भारत की अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में आर्थिक साख तो डांवाडोल तो होगी ही, इससे भारत की राजनीतिक और कूटनीतिक ताकत को भी धक्का लगेगा.

    -डॉ. अनिता राठौर