Atiq Ahmed reached jail safely, earlier criminals used to die in road accidents

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दुर्दांत माफिया अपराधी और बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद 24 घंटे का लंबा सफर तय कर गुजरात के साबरमती जेल से आखिर सहीसलामत प्रयागराज के नैनी जेल पहुंच ही गया. अवश्य ही उसके दिल में खौफ रहा होगा कि कहीं उसका हाल भी कानपुर जिले के बिकरु गांव के बाहुबली अपराधी विकास दुबे जैसा न हो. इस बार न तो रास्ते में अचानक पानी बरसा और न गाड़ी पलटी. मीडिया भी लगातार अतीक अहमद को गुजरात से यूपी ले जाए जाने की यात्रा के पीछे पड़ा रहा और पल-पल की रिपोर्टिंग होती रही कि अतीक को लेकर यूपी पुलिस का काफिला कहां तक पहुंचा. कहां गाड़ियां रुकीं और कहां अतीक को बाथरुम ले जाया गया.

दिन भर टीवी चैनल्स पर यही खबरें चलती रहीं. जब मीडिया की सतर्क आखें इस लंबे प्रवास पर टिकी हुई थी तो मार्ग में गाड़ी चलाने या एन्काउंटर होने की तथाकथित आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं. वैसे तो अतीक अहमद को सड़क मार्ग का जोखिम न लेते हुए, विमान से भी लाया जा सकता था. इसमें समय भी बचता लेकिन वैसा न करते हुए पुलिस उसे गुजरात से उत्तरप्रदेश तक गाड़ियों के काफिले में कड़ी निगरानी के साथ लेकर आई. इस लंबे रास्ते में काफिला 11 बार रुका. अतीक की वैन से एक बड़ा हादसा होने से बच गया. जैसे ही वैन ने मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश किया तो सामने गाय आ गई. गाड़ी की जोरदार टक्कर से गाय की मौत हो गई.

शिवपुरी जिले में यह हादसा होने के बाद काफिला आगे बढ़ गया. कुछ लोग आशंकित थे कि यूपी की योगी सरकार के शातिर अपराधियों और बाहुबलियों के प्रति सख्त रवैये को देखते हुए अतीक अहमद भी रास्ते में हादसे या इन्काउंटर की बलि चढ़ सकता है परंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. जो अपराधी किसी अन्य राज्य की जेल में रहते हुए भी एक इशारे पर अपने राज्य में किसी का कत्ल करवा सकता है, वह कितना खतरनाक होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है. अतीक पर 100 से ज्यादा केस दर्ज हैं. राजू पाल मर्डर के प्रमुख गवाह उमेश पाल अपहरण और हत्या के केस में एमपी-एमएलए कोर्ट फैसला सुनाएगा. अतीक अहमद को लाने में विशेष सावधानी बरती गई क्योंकि दुर्दांत अपराधी पुलिस को चकमा देकर या बेकाबू होकर भाग निकलने की फिराक में रहते हैं.

विकास दुबे की मौत के बाद सवाल उठे थे कि जब गाड़ी पलटने के बाद वह भाग रहा था तो उसके पैर पर गोली मारी जा सकती थी. उसे जान से क्यों मारा गया? एक्स्ट्रा ज्युडीशियल किलिंग को लेकर अदालत भी सख्त रुख रखती है इसलिए अतीक अहमद को सही सलामत नैनी जेल तक लाना यूपी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती थी जिसे उसने पूरा कर दिखाया. पहले ही योगी सरकार के बारे में धारणा बनी हुई है कि वह शातिर अपराधियों, गुंडों और माफिया के खिलाफ बेहद सख्त है.

ऐसे तत्वों के घरों पर सीधे बुलडोजर चलवा दिया जाता है. इसलिए यदि अतीक अहमद यदि उसे लाते समय किसी हादसे में दम तोड़ देता तो सरकार की परेशानी बढ़ जाती इसलिए अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए उसे गुजरात से यूपी लाया गया और नैनी सेंट्रल जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में अकेले रखा गया. वहां भारीपुलिस बल की तैनाती के बाद ही ऐसे 16 सीसीटीवी कैमरे उस पर निगरानी रखे हुए हैं.