महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन को लेकर BJP की मांग का कोई औचित्य नहीं

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    विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्य सरकारों को गिराने के लिए बीजेपी तरह-तरह के हथकंडे अपनाती आ रही है. उसने ‘आपरेशन लोटस’ के जरिए कर्नाटक, मध्यप्रदेश, मिजोरम, गोवा में उलटफेर कर अपनी सरकार बनवा ली. राजस्थान में उसने भरसक कोशिश की लेकिन वहां उसका गेम सफल नहीं हो पाया. निर्वाचित सरकारों के विधायकों को फोड़कर बीजेपी में लाने की नीति कितने ही राज्यों में कामयाब हो गई.

    इसीलिए बीजेपी नेता (BJP) गर्व से कहते हैं कि देश के 16 राज्यों में उनकी सरकार है. मध्यप्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के असंतोष का इस्तेमाल किया गया. बीजेपी इसी ताक में रहती है कि केंद्र अलग देश के तमाम राज्यों में भी उसकी सरकार बन जाए. इसके लिए वह डबल इंजिन की सरकार का प्रलोभन देने से नहीं चूकती. यह संदेश दिया जाता है कि यदि केंद्र और राज्य दोनों में बीजेपी की सरकार रहेगी तो विकास काफी तेजी से होगा. यह रवैया संघीय (फेडरल) व्यवस्था के खिलाफ है. लोगों को याद है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit shah)जब बीजेपी अध्यक्ष थे तब कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते थे. विपक्ष को अस्तित्वहीन करने ऐसा लक्ष्य तानाशाही रवैये का संकेत देता है.

    सरकार की एकजुटता कायम

    बीजेपी काफी समय से इस ताक में है कि महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी (Maha Vikas Aghadi , MVA) की सरकार गिर जाए. आघाड़ी के तीनों घटक दलों की एकजुटता और अनुभवी नेता शरद पवार के मार्गदर्शन की वजह से इस सरकार को गिरा पाने में बीजेपी को सफलता नहीं मिल पाई. वैसे राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच जिस तरह का टकराव देखा जाता रहा उसके पीछे बीजेपी की कूटनीति से कोई इनकार नहीं कर सकता.

    दलीलों में इतना दम नहीं

    महाराष्ट्र में गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, हफ्ता वसूली, ट्रांसफर रैकेट, बिगड़ती कानून-व्यवस्था कोरोना संकट से निपटने से अक्षमता जैसे मुद्दों को लेकर बीजेपी के प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से भेंट की. यह संकेत दिया जा रहा है कि इसके बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश राज्यपाल द्वारा की जा सकती है. विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस का दावा है कि उन्होंने 100 घटनाओं की जानकारी राज्यपाल को दी. बीजेपी कुछ भी करे लेकिन जब विधान मंडल में आघाडी सरकार का बहुमत है और कानून-व्यवस्था के ठप होने जैसी कोई स्थिति नहीं है तो राष्ट्रपति शासन लागू होने की कल्पना ही कैसे की जा सकती है?

    इतनी जल्दबाजी किसलिए

    बीजेपी इतनी जल्दबाजी में क्यों है? पहले वह 5 राज्यों के चुनाव की चुनौती से तो निपट ले. महाराष्ट्र की स्थितियां ऐसी चिंताजनक नहीं है कि राज्यपाल यहां राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करे और केंद्र इस तरह का कदम उठाए. भ्रष्टाचार और वसूली किस राज्य में नहीं होती. जब ऐसी शिकायत आती है तो सरकार उसका निराकरण करती है. इसके आधार पर राष्ट्रपति शासन लागू (Maharashtra President’s Rule) करने के पहले बीजेपी को अपने शासित राज्यों की ओर भी देखना होगा. क्या वहां भ्रष्टाचार या घोटालों के गंभीर आरोप नहीं लगे हैं? बीजेपी ने यदि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है तो इसमें राजनीति के अलावा कुछ भी नहीं है. ऐसी अजीब मांग का कोई औचित्य नहीं है.