नूपुर की वजह से दबाव में BJP

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    क्या राजनीतिक पार्टियां अपने प्रवक्ता को संतुलित भाषा में मर्यादा के साथ अपनी बात रखने की सीख देती हैं? ऐसा हरगिज नहीं होता. कोई भी पार्टी अपने प्रवक्ता से जोशीले अंदाज में बहस करने और तीखी दलीलें देने की उम्मीद करती है. पार्टी यह भी मानती है कि प्रवक्ता को पार्टी की विचारधारा, दृष्टिकोण और नीतियों की पूरी जानकारी है इसलिए उसे आक्रामक तरीके से बयानबाजी के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. 

    प्रवक्ता वही बोलता है जैसी पार्टी की भावना रहती है या जिस तरह के माहौल को वह अपने आसपास देखता है. वह समझता है कि यही पार्टी लाइन है और यदि वह तीखा बोलेगा तो उसे शाबासी मिलेगी. वह जोश में होश खो बैठता है और फिर अपनी इस करनी से खुद को अकेला पाता है. मुश्किल के समय कोई उसका साथ देने आगे नहीं आता.

    नूपुर पर माहौल का असर

    संभवत: बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा पर साध्वी प्राची, साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर, साक्षी महाराज जैसे तेजतर्रार लोगों की चुभनेवाली बयानबाजी का असर पड़ा होगा. नूपुर ने यह नहीं सोचा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता कितने सधे हुए तरीके से बोलते हैं और विदेशों में अपनी छवि का कितना ध्यान रखते हैं. 

    नूपुर को मोदी, शाह और नड्डा से प्रेरणा लेनी चाहिए थी न कि भड़काऊ भाषा बोलकर खबरों में छाए रहनेवाले कनिष्ठ नेताओं से. जब बीजेपी की ओर से संबित पात्रा बिना उत्तेजित हुए शांतिपूर्वक अपनी बात रख सकते हैं तो नूपुर को भी उनसे सीखना था कि अपना पक्ष कैसे रखा जा सकता है. नूपुर को उनका अति उत्साह महंगा पड़ा. पता नहीं किसने उन्हें बेछूट बोलने के लिए प्रोत्साहित किया?

    याचिका ठुकरा कर खरी-खरी सुनाई

    देश की न्यायपालिका किसी के दबाव-प्रभाव में न आकर सिर्फ संविधान के प्रति समर्पित है. बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को कोई राहत देने की बजाय उनकी याचिका ठुकराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार सुनाई और देश से माफी मांगने को कहा. नूपुर ने मांग की थी कि उनकी जान को खतरा देखते हुए देशभर में उनके खिलाफ दर्ज अनेक मामलों की सुनवाई दिल्ली में करने की अनुमति दी जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने नूपुर को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि उनके बयान की वजह से ही देशभर में सांप्रदायिक माहौल खराब हुआ है. 

    उन्होंने बदजुबानी के साथ गैरजिम्मेदाराना बातें कहीं, बिना यह सोचे कि इसका अंजाम क्या होगा. 2 जजों की बेंच ने कहा कि नूपुर ने टीवी चैनल पर धर्म विशेष के खिलाफ उकसानेवाली टिप्पणी की. जब लोगों का गुस्सा भड़क गया तो उन्होंने शर्तों के साथ माफी मांगी यह उनकी जिद और घमंड को दिखाता है. कोर्ट ने नूपुर के खिलाफ दर्ज मामलों को दिल्ली ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया. नूपुर के वकील की दलील थी कि नूपुर को धमकियां मिल रही है. 

    उनके लिए इस समय यात्रा करना सुरक्षित नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा कि जब आप किसी के खिलाफ शिकायत करती हैं तो उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है. आपके दबदबे की वजह से कोई भी आपको छूने की हिम्मत नहीं करता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नूपुर को धमकियां मिल रही हैं या वे खुद सुरक्षा के लिए खतरा हैं? क्या वे समझती हैं कि उनके पास सत्ता का समर्थन है और कानून के खिलाफ जाकर कुछ भी बोल सकती हैं?

    यह बीजेपी की सोच है- जयराम रमेश

    कांग्रेस का आरोप है कि नूपुर शर्मा ने वही कहा जो बीजेपी की सोच और विचार है. देश में माहौल खराब होने की वजह यही है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी बिल्कुल सही है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण और दूरगामी टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि सत्ता का नशा उनके सिर पर चढ़ा हुआ दिखता है. नूपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर कानूनमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस बारे में उचित मंच पर चर्चा होगी.