उपचुनाव परिणाम BJP के लिए खतरे की घंटी

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    तेजी से बढ़ती महंगाई, भारी बेरोजगारी तथा जनता से हो रही वादाखिलाफी का विपरीत असर बीजेपी पर पड़ रहा है. उपचुनावों के परिणाम स्पष्ट संकेत देते हैं कि जनता का बीजेपी से मोह भंग होता जा रहा है. हिन्दीभाषी प्रदेशों में बीजेपी विरोधी लहर छाई हुई है. 2 लोकसभा सीटों के उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार का कड़वा घूंट पीकर रह जाना पड़ा. राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को करारा झटका लगा. हिमाचल की मंडी सीट पर कांग्रेस ने विजय हासिल की. प्रदेश में बीजेपी सरकार रहते हुए भी वहां कांग्रेस की लहर चली. देश की 3 लोकसभा सीटों और 29 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में जनता की नब्ज का पता चला.

    महंगाई मार गई

    हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने महंगाई के मुद्दे पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि पार्टी की हार की वजह महंगाई है. प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट के अलावा अर्की, फतेहपुर, जुब्बल, कोटखाई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस ने बाजी मार ली. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि जिस तरह विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस की जीत हुई है, वह दिखाता है कि बीजेपी की नीतियों और कदमों से जनता बुरी तरह नाराज है और उसका विरोध बढ़ता जा रहा है. शुक्ला ने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव में इसका जमकर प्रभाव पड़ेगा. मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था बिगाड़ कर जनता की जेब पर डाका डालना शुरू कर दिया है. जीडीपी के आंकड़े फर्जी हैं.

    बंगाल में TMC की मोनोपली

    बंगाल विधानसभा की 4 सीटों के उपचुनाव में टीएमसी ने अपना वर्चस्व सिद्ध कर दिया. वहां टीएमसी को 75 प्रतिशत, बीजेपी को 14.5 प्रतिशत, लेफ्ट को 7.3 प्रश वोट मिले. इससे बंगाल में ममता बनर्जी के प्रभावी नेतृत्व की झलक मिलती है, जिनके सामने सभी पार्टियां धूल चाटने को विवश हो गईं. बिहार में तारापुर सीट पर जदयू प्रत्याशी की जीत के आसार हैं. शुरू में बढ़त के बाद आरजेडी पीछे चली गई.

    केवल मध्यप्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट पर बीजेपी जीती. इससे शिवराज सिंह की मजबूत पकड़ दिखाई देती है. महाराष्ट्र के बाहर पहली बार शिवसेना ‘दादरा नगर हवेली’ लोकसभा सीट पर जीती. यह पार्टी की बड़ी सफलता है.

    7वां वर्ष चुनौतीपूर्ण

    जैसे मनमोहन सिंह सरकार के लिए उसके 10 वर्षीय कर्यकाल का 7वां वर्ष चुनौतीपूर्ण और तकलीफदेह रहा था, कुछ वैसी ही स्थिति मोदी व बीजेपी के लिए देखी जा रही है. मोदी सरकार के 7वें वर्ष में बीजेपी की हालत डांवाडोल होने लगी है. रोज पेट्रोल-डीजल के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं. महंगाई को लेकर बीजेपी नेता-कार्यकर्ता कोई सफाई नहीं दे पा रहे हैं, जो कि पहले देश की सारी बुराइयों के लिए कांग्रेस पर ही ठीकरा फोड़ते थे. जनता पूछने लगी है कि इन 7 वर्षों में ऐसी कौन सी उपलब्धि है जिस पर गर्व किया जाए? सरकार के पास समस्याओं का हल नहीं है. आगे चलकर किसान आंदोलन का भी यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी पर विपरीत असर पड़ सकता है.