Deal like Maharajas, Air India's historic deal

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    एयर इंडिया ने ग्लोबल एविएशन इतिहास में आज तक का सबसे बड़ा यात्री एयरक्राफ्ट खरीद आर्डर दिया है. इस डील के तहत एयरबस व बोइंग से 85 बिलियन डॉलर मूल्य के 470 कमर्शियल एयरक्राफ्ट्स खरीदे जायेंगे, जिनमें विशेषरूप से रोल्स-रॉयस एक्सडब्लूबी इंजन लगे होंगे. अनुमान यह है कि भारत को अगले दो दशक के भीतर 2,000 से अधिक कमर्शियल एयरक्राफ्ट्स की जरूरत पड़ेगी. इस सौदे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रॉन की राजनीतिक उपस्थिति रही, जबकि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इसे ‘लैंडमार्क डील’ बताते हुए कहा कि तेजी से विकास कर रहे एयरोस्पेस सेक्टर के लिए ‘स्काई इज द लिमिट’. एयर इंडिया का लोगो ‘महाराजा’ है और यह सौदा भी वास्तव में महाराजाओं जैसा रहा.

    अपने ऑपरेशंस का विस्तार करने के उद्देश्य से एयर इंडिया फ्रांस की एयरबस व अमेरिका की बोइंग से 470 वाइड-बॉडी व नैरो-बॉडी हवाईजहाज खरीदेगी. नये हवाई जहाजों की पहली खेप इस साल के अंत तक एयर इंडिया की सेवा में शामिल हो जायेगी, जबकि शेष अधिकतर हवाई जहाज 2025 के मध्य से आने आरंभ हो जायेंगे.

    इस बीच एयर इंडिया ने 11 बी777 व 25 ए320 लीज पर लेने शुरू किये हैं ताकि अपनी फ्लीट व नेटवर्क विस्तार में तेजी ला सके. इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि एयर इंडिया सुरक्षा, कस्टमर सर्विस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, नेटवर्क व मानव संसाधन को लेकर बड़े बदलाव की ओर अग्रसर है. यह आर्डर एयर इंडिया की महत्वकांक्षा को साकार करने के संदर्भ में बहुत बड़ा कदम है. इस सौदे से जहां टाटा संस और फलस्वरूप भारत को बहुत बड़ा फायदा होगा कि रोजगार के भी बड़ी संख्या में अवसर उपलब्ध होंगे, वहीं यह फ्रांस, अमेरिका व इंग्लैंड के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा. अनुमान यह है कि 2050 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा. इसलिए ऋषि सुनक के अनुसार, इससे इंग्लैंड के एयरोस्पेस सेक्टर में अधिक जॉब्स उपलब्ध होंगे.

    इसी तरह जो बाइडेन का कहना है कि 200 से अधिक बोइंग एयरक्राफ्ट बेचने से अमेरिका के 44 राज्यों में दस लाख से अधिक जॉब्स को सहारा मिलेगा और एयर इंडिया अपनी यातायात जरूरतों को पूरा कर सकेगी. जबकि मैक्रॉन ने भारतीय प्रधानमंत्री का फ्रांस व उसके उद्योग में विश्वास दिखाने के लिए शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि एयरबस व टाटा संस के बीच समझौता दोनों देशों (भारत व फ्रांस) के बीच ‘स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप का नया चरण है’. यह सौदा 2011 के अमेरिकन एयरलाइंस के 460- हवाई जहाज सौदे को पीछे छोड़ते हुए नया विश्व कीर्तिमान स्थापित करता है, जिससे न केवल एयर इंडिया के नेटवर्क का जबरदस्त विस्तार होगा बल्कि एविएशन बाजार में वह प्रथम स्थान भी प्राप्त कर लेगी. इसके साथ ही इससे यह विश्व में भी स्ट्रेटेजिक बढ़त प्राप्त कर सकती है. इस सौदे से एयर इंडिया सीधे लुफ्तहांसा व सिंगापुर एयरलाइंस की कतार में खड़ी हो जाती है, जोकि विश्व के सबसे बड़े ग्लोबल एयरलाइन एलायंस (स्टार एलायंस) का हिस्सा हैं. यह सौदा बड़े गेम प्लान का हिस्सा प्रतीत होता है कि गल्फ कैरियर्स के दबदबे का मुकाबला किया जा सके, जोकि स्टार एलायंस का मुख्य प्रतिद्वंदी है.

    वर्तमान में भारतीय यात्री यूरोप, अमेरिका व विश्व के अन्य हिस्सों में जाने के लिए अमीरात, कतर एयरवेज, एतिहाद व मध्य पूर्व की अन्य एयरलाइंस को प्राथमिकता देते हैं. एयर इंडिया की नई फ्लीट के सेवा में आने से इस स्थिति में परिवर्तन आना संभव है. ए350 वाइड-बॉडी एयरक्राफ्ट्स के जरिये एयर इंडिया अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया के बाजारों में प्रवेश कर सकती है; क्योंकि फिर इन जगहों के लिए वह बिना रुके सीधी फ्लाइट्स भेज सकती है. विदेशों में रह रहे भारतीयों के ये पसंदीदा रूट्स हैं, जिनका एयर इंडिया को लाभ मिल सकता है.

    निजी हाथों में लौटने के एक साल बाद एयर इंडिया ने इस सौदे से तहलका तो मचा ही दिया है. साथ ही इस सौदे में आर्डर को बढ़ाने के विकल्प भी हैं. लगभग 85 बिलियन डॉलर के इस सौदे से भारत की आर्थिक संभावनाएं भी जुड़ी हुई हैं. निकट भविष्य में भारत तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बना रहेगा. इससे हवाई यात्रा की मांग में वृद्धि होगी. बोइंग का अनुमान है कि अगले दो दशकों में भारत को 2,000 से अधिक नये कमर्शियल एयरक्राफ्ट्स की जरूरत पड़ेगी. 

    – नौशाबा परवीन