पूर्वोत्तर के 3 राज्यों में चुनाव की शुरुआत

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    चुनाव आयोग ने इस वर्ष 9 राज्यों में होनेवाले विधानसभा चुनावों की दिशा में शुरूआती कदम उठाते हुए पूर्वोत्तर के 3 राज्यों का चुनावी कार्यक्रम घोषित कर दिया. त्रिपुरा में 16 फरवरी को तथा मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को मतदान होगा. इन तीनों ही राज्यों की विधानसभा सदस्य संख्या एक समान अर्थात 60 है. इसलिए बहुमत हासिल करने का आंकड़ा 31 है. खास बात यह है कि इन तीनों राज्यों में महिला वोटर की तादाद पुरुष मतदाताओं से ज्यादा है. प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर को भारत की सुरक्षा व समृद्धि का प्रवेश द्वार कहा था. हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सभी राज्यों में पूरी ताकत से चुनाव लड़ने का एलान किया है, इसलिए पूर्वोत्तर में भी कड़ी टक्कर होने की संभावना है.

    इस समय त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार है जबकि मेघालय और नगालैंड में वह सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल है. बीजेपी की सफलता विकास को बढ़ावा देने तथा चतुराई से गठबंधन करने में निहित है. इसके बावजूद उसके सामने चुनौतियां भी हैं. वह पूर्वोत्तर के अंतरराज्यीय सीमा विवादों में उलझी हुई है. इस वजह से एक राज्य की बीजेपी सरकार दूसरे राज्य की अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ है. इसका विरोधी पार्टियां फायदा उठा सकती हैं.

    इसके अलावा बीजेपी के क्षेत्रीय सहयोगी दल मानते हैं कि बीजेपी उनकी कीमत पर अपना विस्तार करने में लगी हुई है. बीजेपी के एनपीपी से संबंधों में तनाव देखा जा रहा है. गत वर्ष दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. अब एनपीपी मेघालय की 60 में से 58 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है. वह बीजेपी की बजाय टीएमसी से गठबंधन कर सकती है. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी भी बंगाल के बाहर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए त्रिपुरा में ताकत झोंक रही है.

    यद्यपि बीजेपी को इस बात का श्रेय है कि उसने गत वर्ष पूर्वोत्तर के अधिकांश इलाकों से सशस्त्र सेना बल कानून (अफस्पा) हटा दिया. इससे लोगों ने राहत की सांस ली क्योंकि सेना के पास किसी की भी तलाशी लेने और संदेह होने पर गोली मार देने का अधिकार था. पूर्वोत्तर में क्षेत्रीय विरोध या बगावत के खत्म होने पर ही सामान्य स्थिति बहाल हो सकती है. नगा शांति समझौते की पूर्णता पर ही इन क्षेत्रों का आर्थिक विकास संभव है.

    दूसरी बात यह भी है कि बीजेपी को पूर्वोत्तर राज्यों के लोग हिंदी प्रदेशों की पार्टी मानते हैं. त्रिपुरा में सीपीएम, कांग्रेस और टिपरामोथा नामक क्षेत्रीय पार्टी का गठबंधन बीजेपी से टक्कर लेगा. 2018 में बीजेपी ने त्रिपुरा में 3 दशकों से चली आ रही सीपीएम की सत्ता को खत्म किया था. कभी सीपीएम की बंगाल त्रिपुरा और केरल में सरकारें थीं अब वह सिर्फ केरल तक सीमित रह गई है. मेघालय और नगालैंड में क्षेत्रीय पार्टियों की सत्ता है.

    नगालैंड में फिर शांति समझौते का मुद्दा उभरेगा. मेघालय में कानराड संगमा की पार्टी एनपीपी को टीएमसी चुनौती दे सकती है. पिछली बार कांग्रेस के 7 विधायकों में से 12 पाला बदलकर टीएमसी में शामिल हो गए थे. पूर्वोत्तर के 3 राज्यों के चुनाव के अलावा पुणे की कसबा पेठ और पिंपरी चिंचवड की खाली पड़ी 2 विधानसभा सीटों पर 27 फरवरी को उपचुनाव होगा. ये सीटें मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप के निधन के बाद से खाली पड़ी हैं. साथ ही लक्षद्वीप लोकसभा सीट के अलावा झारखंड की रामगढ़, तमिलनाडु की इरोड (पूर्व) बंगाल की सागरडिगीही विधानसभा सीटों पर भी 27 फरवरी को उपचुनाव होगा.