Eliminate criminals but in what way Atiq Ahmed and his brother Ashraf shot dead in Prayagraj

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कहना होगा कि कर्मों का फल कभी न कभी भुगतना ही पड़ता है. हिस्ट्रीशीटर से सांसद बना अतीक अहमद अपने भाई अशरफ के साथ उसी प्रयागराज में मारा गया जो 3 दशकों से उसके आतंक का गढ़ था. यह पुलिस एन्काउंटर नहीं था बल्कि टीवी पत्रकारों के रूप में आए 3 हमलावरों ने काल्विन मेडिकल कॉलेज के पास दोनों की बिल्कुल नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी. यह सारा दृश्य टीवी कैमरों में कैद हुआ. सब कुछ अकस्मात हो गया. पुलिस सुरक्षा के बीच हत्याएं हो जाना कानून-व्यवस्था का मखौल नहीं तो और क्या है? हमलावर 22-23 साल के युवक थे जिन्होंने 48 सेकंड में 35 राउंड फायरिंग की. अतीक और अशरफ को मौत के घाट उतारने के बाद तीनों हमलावरों ने हथियार फेंक दिए और पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.

हत्या के चश्मदीदों के अनुसार हमलावर 3 नहीं बल्कि 4 थे और पुलिस की गाड़ी से आए थे. तो क्या पुलिस ने ही अपराधियों के जरिए माफिया डॉन और उसके भाई को मरवा दिया जो कि उस समय हथकड़ी में जकड़े हुए थे और रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल लाए जा रहे थे? अतीक अहमद ने 19 वर्ष पहले ही अपनी मौत की भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि या तो उसका एन्काउंटर होगा या उसी की बिरादरी का कोई सिरफिरा उसकी जान ले लेगा.

जब पुलिस जानती थी कि माफिया डॉन अतीक से कई लोग बदला लेना चाहते हैं तो अस्पताल ले जाते समय उसे पर्याप्त सुरक्षा घेरा क्यों नहीं दिया गया? जब मामला कोर्ट में चल रहा है तो बार-बार मीडिया से बात करने की छूट क्यों दी जाती रही? यह क्यों नहीं सोचा गया कि कोई हत्यारा मीडियाकर्मी के भेष में आकर बिल्कुल नजदीक से डॉन पर हमला कर सकता है? मीडिया से मिलवाने का जोखिम सामने आ गया. अतीक को कनपटी पर गोली मारी गई.

अशरफ को भी ढेर कर दिया गया. उनके गिर जाने पर भी हमलावर गोलियां बरसाते रहे. यदि यूपी में किसी अन्य पार्टी की सरकार होती तो क्या केंद्र इसे बर्दाश्त करता? वैसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर नाराजगी जताते हुए 3 सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित करने के निर्देश दे दिए हैं. प्रयागराज में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. यद्यपि अतीक अहमद बहुत बड़ा माफिया डॉन था जो जेल में रहते हुए भी लोगों की हत्याएं करवा दिया करता था. उसके खिलाफ गवाही देनेवाला जिंदा नहीं बचता था. गवाह और सबूत के बगैर अदालतें भी उसे सजा देने में बेबस हो जाती थीं इतने पर भी पुलिस हिरासत में रहते हुए यदि कोई मारा जाए तो कानून-व्यवस्था पर सवालिया निशान लग जाता है.

अतीक और अशरफ का मारनेवाला शूटर सनी सिंह भी हिस्ट्रीशीटर बताया जाता है. एक अन्य शूटर अरुण मौर्य पर पहले से पुलिस कर्मी की हत्या का आरोप है. तीसरे शूटर लवलेश के पिता ने कहा कि उसका बेटा नशेड़ी है जिससे वे पहले ही नाता तोड़ चुके हैं. माफिया डॉन की हत्या के बाद यूपी में राजनीति तेज हो गई है. बसपा नेता मायावती ने कहा कि यूपी एन्काउंटर प्रदेश बन गया है. सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा की यूपी में अपराध की पराकाष्ठा हो गई है.

अखिलेश के चाचा रामगोपाल यादव ने आशंका जताई कि अतीक के अन्य बेटों को भी किसी न किसी बहाने मार दिया जाएगा. एमआईएम प्रमुख ओवैसी ने मांग की कि योगी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें और सुप्रीम कोर्ट स्वयं संज्ञान लेकर मामले की जांच करे. कांग्रेस ने मांग की कि कानून के तहत अपराधियों को कड़ी सजा दी जाए.