G-20 meeting in Srinagar, it was necessary to show this strength to the world

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भारतीय संविधान से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर वाकई बदल चुका है. इस बदले हुए जम्मू-कश्मीर को पूरी दुनिया को दिखाना था. इसलिए जब भारत को जी-20 समूह की अध्यक्षता मिली और पूरे देश के अलग अलग शहरों में 60 से ज्यादा कार्यक्रम होने सुनिश्चित हुए, तभी सरकार ने यह फैसला कर लिया था कि इनमें से एक कार्यक्रम श्रीनगर में भी रखा जायेगा. लेकिन भारत के इस ऐलान के साथ ही पाकिस्तान को मानो आग लग गई. उसने इसके विरोध का एक सूत्रीय एजेंडा ही बना लिया. पाकिस्तान ने अपने कई पूर्व राजनयिकों को विभिन्न ओआईसी सदस्य देशों में भेजा और गुजारिश की कि इस्लाम व कश्मीरियों के लिए वे भारत के इस कदम का विरोध करें. पाकिस्तान की इस प्रोपेगंडा का कुछ असर तो हुआ ही, क्योंकि इस बैठक में तुर्कीए, चीन और सऊदी अरब के प्रतिनिधि हिस्सा लेने नहीं आए. इंडोनेशिया ने दिल्ली स्थित अपने राजदूत को इसमें हिस्सेदारी के लिए कह दिया. भारत ने मेहमान देश के तौरपर अपनी निजी हैसियत से इजिप्ट को आमंत्रित किया था, वह भी नहीं आया. गए

अगर भारत पाकिस्तान और उसके दोस्त तुर्कीए व सऊदी अरब के दबाव में आकर कश्मीर में जी-20 पर्यटन समूह की तय बैठक को कहीं और शिफ्ट कर देता, तो इसे पाकिस्तान अपनी जीत के रूप में प्रदर्शित करता और हमें चीन के साथ मिलकर गैरजरूरी दबाव में लेने की कोशिश करता.

पाकिस्तान का दुष्प्रचार

भारत जी-20 पर्यटन समूह की श्रीनगर में प्रस्तावित बैठक का चार देशों- चीन, तुकीए, सऊदी अरब और इंडोनेशिया के आंशिक या पूर्ण बायकट किए जाने के बावजूद अपनी योजना से टस मस नहीं हुआ, जो इस बात का भी सबूत है कि आज के दौर में भारत जो कहता है, उसे दुनिया सुनती है. पाकिस्तान ने करोड़ों डाॅलर खर्च करके दुनिया के कई दर्जन देशों में यह नैरेटिव चलाने की कोशिश कि कश्मीरियों को भारत ने बंधक बना रखा है. वहां लोग सरकार के खिलाफ सड़ों पर उतरे रहते हैं. लेकिन भारत ने पाकिस्तान को जरा भी इस सबके लिए भाव नहीं दिया. नतीजा यह रहा कि श्रीनगर में शानदार बैठक हुई जिसके लिए 17 देशों के पांच दर्जन से ज्यादा सदस्य श्रीनगर पहुंच गए. 

भारत ने पाकिस्तान के इस प्रोपेगंडा को यह कहकर खारिज कर दिया था कि पाकिस्तान जी-20 समूह का सदस्य नहीं है, इसलिए उसे इस सबमें कुछ बोलने की हैसियत नहीं है. जिस तरह से किसी भी गैर इस्लामिक देश ने इस बैठक का विरोध नहीं किया और खुशी खुशी न सिर्फ हिस्सेदारी की बल्कि डल झील में इन देशों के सदस्यों ने बोटिंग का लुत्फ भी लिया इससे साफ होता है कि जी-20 जो कि दुनिया का सबसे ताकतवर आर्थिक और राजनीतिक शक्तियों का समूह है, ने पाकिस्तान के इशारे पर चलने वाले प्रोपेगंडा को ध्यान देना तो दूर उसे सुनना भी पसंद नहीं किया. पहले दिन की बैठक के बाद बार बार तालियों की ध्वनियों के बीच जिन कई प्रस्तावों पर सहमति बनीं, उसमें प्रमुख प्रस्ताव विश्व पर्यटन के नक्शे में श्रीनगर को महत्वपूर्ण गंतव्य के रूप में चिन्हित करना था. 

भारत ने इस बैठक में जी-20 के सदस्य देशों के लिए कश्मीर में फिल्मों की शूटिंग के लिए आह्वान किया और इसके लिए कई तरह की रियायतें देने की बात कही. महत्वपूर्ण बात यह रही कि अनुच्छेद 370 के नाम पर सियासी रोटियां सेकने वाले पाकिस्तान ने जो जो प्रोपेगंडा किया था, उस सबके लिए मुंह की खाई. जी-20 समूह के देशों के प्रतिनिधियों ने हवाई अड्डे में उतरने के बाद ही देखा कि किस तरह कश्मीर घाटी की युवतियां अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सदस्य देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत कर रही हैं. 

जी-20 समूह के सदस्यों को बड़े पैमाने पर देसी विदेशी पर्यटकों की मौजूदगी दिखी. आंकड़े बताते हैं कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद से अब तक डेढ़ करोड़ से ज्यादा भारत के विभिन्न हिस्से के लोग कश्मीर घूम चुके हैं.

– डॉ. अनिता राठौर