पाक में कभी नहीं होती गांधी-नेहरू की चर्चा, फिर हमारे यहां जिन्ना की याद क्यों?

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    हमारे यहां लोग जरूरत से ज्यादा चिंतनशील हैं. उन्हें फिजूल के पचड़े में पड़े बिना खाना हजम नहीं होता. पाकिस्तान में कभी महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार पटेल या नेताजी सुभाषचंद्र बोस की चर्चा नहीं होती. पाकिस्तानी पहले अपने आका अमेरिका की याद करते थे लेकिन जब उसने खैरात के टुकड़े डालने बंद कर दिए तो चीन की चापलूसी करने लगे. 

    उन्हें पता है कि किसके सामने कब दुम हिलाना है. पाकिस्तान के पास याद करने के लिए है भी क्या? फौजी बूटों के तले बार-बार रौंदा जानेवाला लोकतंत्र, सैनिक तानाशाहों की अय्याशी का इतिहास, इमरान खान जैसे क्रिकेटर-कम-प्लेब्वाय की लंगड़ी हुकूमत! जब मुल्क ही 74 साल पहले बना तो पाकिस्तान अपनी हिस्ट्री लाए भी तो कहां से? हालांकि सिंधु घाटी सभ्यता के मोहन जोदड़ो और हड़प्पा शहर के अवशेष पाकिस्तान में हैं लेकिन उसमें उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है.

    मेसीडोनिया से आए हमलावर सिकंदर का मुकाबला पोरस ने किया था लेकिन पाकिस्तानियों को न पोरस की याद है, न तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय की. खैबर, गोमल और टोची के पहाड़ी दर्रों से आक्रमणकारी आते रहे लेकिन पाकिस्तान को अपनी पश्चिमी सीमा का यह इतिहास भी नहीं मालूम. पाकिस्तानियों को कौन याद दिलाए कि भगवान राम के बेटे लव के नाम पर लाहौर बसाया गया था और कुश के नाम पर कश्मीर. माना जाए तो कश्मीर कश्यप ऋषि की भूमि थी. अफगानिस्तान का कंधार कभी गांधार था जहां की राजकुमारी गांधारी का विवाह हस्तिनापुर नरेश धृतराष्ट्र से हुआ था.

    इतिहासविहीन पाकिस्तान

    पाकिस्तान इतिहासविहीन देश है. वह इतिहास की गहराइयों में जाएगा तो पता चलेगा कि वह एंग्लो-अमेरिकी साम्राज्यवाद की नाजायज औलाद है. मोहम्मद अली जिन्ना ने अपनी जिद से पाकिस्तान बनवा तो लिया लेकिन यह तथ्य अपनी जगह है कि न तो जिन्ना को उर्दू आती थी, न वह नमाज पढ़ता था. भारत ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता माना तो जिन्ना को भी पाकिस्तानियों ने अपना कायदे आजम बना लिया. जिन्ना ने अपने पारसी दोस्त की 15 वर्षीय बेटी पेटिट से शादी की थी जो बाद में चल बसी. जिन्ना का नाती नुस्ली वाडिया है. पाकिस्तान के कुछ सैनिक तानाशाह रंगीन मिजाज रहे. जनरल अयूब खान ब्रिटिश कालगर्ल क्रिस्टीन कीलर पर आशिक थे. 

    जनरल याहया खान के समय ‘जनरल रानी’ कहलानेवाली उसकी प्रेयसी की मर्जी पाकिस्तान में चलती थी. जुल्फिकार अली भुट्टो भी इसी किस्म का आदमी था. वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान ने पहले ब्रिटिश लार्ड गोल्डस्मिथ की बेटी जेमीमा से शादी की थी. उस अंग्रेज महिला को पर्दानशीन होना मंजूर नहीं था. उसने तलाक ले लिया. इसके बाद इमरान ने 2 और शादियां कीं. उनकी वर्तमान बेगम का नाम बुशरा बीबी है. जब इमरान क्रिकेट कप्तान थे तब भारतीय अभिनेत्री जीनत अमान के आशिक थे. इमरान खान के सगे चाचा जनरल एएके नियाजी ने बांग्लादेश युद्ध में पराजय के बाद लेफ्टिनेंट जनरल जगजीतसिंह अरोड़ा के सामने सरेंडर किया था. पाकिस्तान अपनी कलंक गाथा गाए भी तो कैसे?

    भारत में जिन्ना के मुरीद

    सपा नेता अखिलेश यादव ने मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की. बेशक उन्होंने यह पैंतरा मुस्लिम वोटों को पाने के इरादे से चला. बीजेपी के शीर्ष नेता माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी भी संघ की नजरों से उस समय गिर गए थे जब उन्होंने कराची जाकर जिन्ना की मजार पर उनकी तारीफ में कसीदे काढ़े थे. इसके बाद बीजेपी की राजनीति में आडवाणी उपेक्षित होकर रह गए. खुद को सेक्यूलर दिखाने और मुस्लिम वोटों को भरमाने के लिए भारतीय नेता जिन्ना को याद करते हैं लेकिन पाकिस्तान में कोई भूलकर भी गांधी, नेहरू, सुभाष, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद आदि का नाम नहीं लेता. फिजूल के पचड़े में पड़ना कोई हम भारतीयों से सीखे!