अदानी पर JPC से सरकार का इनकार, सुको का निगरानी समिति बनाने का आदेश

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    जहां भी आर्थिक घोटाले की बू आती हो, वहां जांच अवश्य होनी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. अदानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच हेतु संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग से सरकार ने इनकार कर दिया परंतु दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कड़ा रूा अपनाते हुए केंद्र सरकार और सेबी को विशेषज्ञों की ऐसी समिति बनाने का आदेश दिया जो ‘अदानी’ जैसे मामलों के उजागर होने के बाद निवेशकों को होनेवाले नुकसान से बचाने के लिए सख्त निगरानी कर सके. निवेशकों का हित सर्वोपरि है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि अदानी समूह में एलआईसी व सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पैसा लगा है.

    क्या अदानी घोटाले की जांच नहीं होनी चाहिए? क्या उस पैसे पर चर्चा नहीं होनी चाहिए जो पब्लिक सेक्टर बैंकों ने आदनी की कंपनी में लगाया है. विपक्ष का दायित्व है कि वह आम जनता के पैसे की हिफाजत के लिए आवास उठाए. सरकार को अदानी का नाम लेने में क्यों दिक्कत है. संसद की कार्यवाही से अदानी शब्द तक को हटा दिया गया. सुप्रीम कोर्ट की सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षतावाली 3 जजों की पीठ ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष जाना और साथ ही उन्हें हिदायत भी दी.

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदानी मामले में जो कुछ भी तर्क दे रहे हैं, वह सोच-समझ कर ही देने चाहिए क्योंकि इसका सीधा असर शेयर मार्केट पर पड़ता है. सीजेआई ने निवेशकों के हित को तरजीह देते हुए पूछा कि क्या हमारे पास कोई मजबूत तंत्र हैं? हम कैसे सुनिश्चित करें कि बड़े पैमाने पर लोग सुरक्षित हैं? सेबी की भूमिका क्या है? उनका कोई नियंत्रण नहीं है. आज ये 10 लाख करोड़ का नुकसान है.

    हम कैसे सुनिश्चित करें कि भविष्य में यह चूक न हो! हम सेबी के बारे में कोई संदेह करना नहीं चाहते लेकिन उसके पास वित्तीय क्षेत्र की कानून सुधार समितियां हैं. इस पर निर्णय लिया जा सकता है कि क्या निगरानी या नियामक ढांचे में संशोधन की आवश्यकता है? इसके बाद सेबी ने अदानी इंटरप्राइजेस के 20,000 करोड के फालोऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) से जुड़े 2 एंकर निवेशकों की जांच शुरू कर दी. मॉरीशस की 2 कंपनियों ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड व आयुष्मत लि. की अदानी के साथ संबंधों की जांच भी हो रही है. इन दोनों कंपनियों ने एंकर के रूप में पैसा लगाया था. सेबी इस मामले में कानूनों के संभावित उल्लंघन या शेयर बिक्री प्रक्रिया में किसी भी तरह के हितों के टकराव की जांच कर रहा है.

    सेबी की जांच इस मुद्दे पर केंद्रित है कि जो एंकर निवेशक हैं क्या वे समूह के संस्थापकों से जुड़े हैं या नहीं? सेबी की जांच में एलावा कॅपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल भी हैं. कैपिटल एंड डिस्क्लोजर नियमों के मुताबिक यदि कोई संस्थान किसी कंपनी के संस्थापक या संस्थापना समूह से जुड़ा है तो वह उस कंपनी में एंकर निवेशक नहीं हो सकता. भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी इंडिया ने भी अदानी की कंपनियों में फिलहाल कोई और नया निवेश नहीं करने का फैसला किया है. एलआईसी के अदानी ग्रुप के स्टॉक्स में निवेश करना भारी पड़ा और इसे लेकर काफी विवादों का सामना करना पड़ा है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अदानी समूह पर आडिट में धोखाधड़ी, शेयर में हेराफेरी और मनीलांड्रिंग जैसे आरोप लगे है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय नियामकों को अदानी समूह से संबंधित मामले की जानकारी है वे हिंडनबर्ग रिपोर्ट से उत्पन्न स्थिति को संभालने में सक्षम हैं.