India's full help to Sri Lanka facing economic crisis

पिछले 6 महीनों में भारत ने लंका को 50 करोड़ डालर की पेट्रोल-डीजल की मदद की.

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    जहां एक ओर चीन की नीति एशिया के छोटे देशों के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने की है, वहीं भारत अपने पड़ोसी देशों की मुसीबत में मदद करता है. लंका में भारी वित्तीय संकट और आवश्यक वस्तुओं का अभाव है. ब्रेड बहुत महंगी हो गई और पेट्रोल भी उपलब्ध नहीं है. ऐसी स्थिति में लंका के वित्तमंत्री बासिल राजपक्षे दिल्ली आकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिले. इसके बाद भारत ने लंका को 1 अरब डालर की मदद देने की घोषणा की. भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति पर विदेश मंत्री जयशंकर ने जोर दिया. भारत तात्कालिक मदद के तौर पर लंका को खाद्य व स्वास्थ्य सुरक्षा पैकेज देगा तथा भारतीय निवेश को भी बढ़ावा दिया जाएगा.

    पिछले 6 महीनों में भारत ने लंका को 50 करोड़ डालर की पेट्रोल-डीजल की मदद की. भारत से जीवनावश्यक वस्तुएं आयात करने के लिए 1 अरब डालर की सहायता दी. 40 करोड़ डालर की करंसी अदलाबदली की. 40,000 मीटरिक टन ईंधन उधार दिया. इसके अलावा कोरोना से निपटने के लिए 1 लाख रैपिड एंटीजेन किट्स तथा 1,600 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन दी. इंडियन ऑइल की सहायक कंपनी लंका इंडिया ऑइल कार्पोरेशन व सिलोन पेट्रोलियम ने त्रिंकोमाली ऑइल टैंक फार्म के संयुक्त विकास के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए. भारत के सहयोग से लंका में पलालय एयरपोर्ट तथा जाफना में कनकेसंतुरई बंदरगाह का निर्माण किया जाएगा.

    ऐसी बुरी हालत क्यों?

    लंका भारी अभाव और महंगाई से जूझ रहा है. देश में रासायनिक खाद पर प्रतिबंध लगाने की वजह से धान और चावल की उपज में भारी कमी आई. विदेशी मुद्रा संकट से निपटने में भी लापरवाही बरती गई. चीन और भारत की ओर से मिलनेवाली सहायता पर अब तक निर्भर रहनेवाले लंका ने अंतरराष्ट्रीय सहायता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. अब वहां भुगतान संकट पैदा हो गया है. लंका सरकार ने बिना किसी कारण आयकरदाताओं को आकर्षक टैक्स रियायतें दीं. इसकी वजह से महंगाई बढ़ी और घरेलू अर्थव्यवस्था पर दबाव आया. विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने से रुपए पर दबाव पड़ा तथा उसका अवमूल्यन हो गया. पर्यटन में भी बहुत गिरावट आ गई. कोरोना ने मुसीबत और बढ़ा दी विश्व बैंक के अनुसार लंका में 5 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिता रहे हैं. खाद्य पदार्थों की कीमत बहुत बढ़ गई है.

    गोटाबाया परिवार का वर्चस्व

    लंका की दिक्कतों के लिए गोटाबाया परिवार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. राजपक्षे गोटाबाया ने राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपने भाई महिंदा को प्रधानमंत्री बनाया. उनका एक भाई चामल केबिनेट मंत्री है. प्रधानमंत्री का पुत्र भी कैबिनेट में है. सरकार का 75 प्रतिशत बजट गोटाबाया परिवार के हाथों में है. लंका ने भारत और चीन दोनों से अपने कर्ज की पुनर्रचना करने को कहा है. लंका चीन के प्रभाव में है. भारत का प्रयास लंका से दीर्घकालीन रणनीतिक संबंध बनाने का है.