Instability in another neighboring nation, Hasina government in trouble in Bangladesh

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    यद्यपि बंग बंधु कहलानेवाले शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के भारत से काफी अनुकूल संबंध हैं तथापि उनकी सरकार इस समय व्यापक विरोध प्रदर्शन की वजह से डांवाडोल बनी हुई है. विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के हजारों समर्थक राजधानी ढाका की सड़कों पर उतर आए हैं और शेख हसीना व उनकी आवामी लीग सरकार के खिलाफ तीव्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं बीएनपी प्रवक्ता जाहिरूद्दीन स्वापान ने कहा कि हमारी मुख्य मांग है कि शेख हसीना इस्तीफा दें और संसद को भंग किया जाए. एक तटस्थ कार्यवाहक सरकार को सत्ता सौंपी जाए तथा देश में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं.

    स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की राय है कि हसीना सरकार ने 2 आम चुनावों में लगातार धांधली की थी क्योंकि उसे डर था कि बीएनपी के हाथों उसे हार का सामना करना पड़ सकता है. हाल ही में 15 विदेशी दूतावासों की ओर से एक साझा बयान जारी कर बांग्लादेश सरकार से निष्पक्ष चुनाव कराने की अपील की गई थी.

    यह कुछ आश्चर्यजनक प्रतीत होता है क्योंकि विदेशी दूतावास क्यों किसी देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप कर वहां की सरकार को चुनाव कराने के लिए कह सकते हैं? ऐसा करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. ढाका के गोलापबाघ स्पोर्टस ग्राउंड पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने नारे लगाए- शेख हसीना वोट चोर है. हाल के कुछ महीनों में बांग्लादेश में सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए हैं.

    बिजली की कटौती तथा पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि से जनअसंतोष भड़क उठा है. विपक्षी दल बीएनपी के मुख्यालय पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई. इसने भी आग में घी डालने का काम किया. बीएनपी ने दावा किया कि प्रदर्शन रैली में लगभग 2 लाख लोग शामिल थे जबकि पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि उस मैदान पर 30,000 से ज्यादा लोग एकत्र हो ही नहीं सकते. बांग्लादेश में 2 बेगमों की पुरानी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा रही है शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की बेगम जिया खालिदा जोर-शोर से डटी रहती हैं.

    बांग्लादेश में हिंसा-प्रतिहिंसा का दौर चलता ही रहता है. शेख हसीना ने अपने शासन काल में अपने पिता मुजीबुर्रहमान व परिवार की हत्या के षड़यंत्र में शामिल लोगों को चुन-चुनकर दंड़ित किया. शेख मुजीब की हत्या 15 अगस्त 1975 को हुई थी जिसमें सेना के अफसर शामिल थे. इस हत्याकांड की साजिश में शामिल व्यक्ति बूढ़े हो गए थे लेकिन उन्हें कोई रियायत नहीं दी गई. एक समय ऐसा भी आया जब बांग्लादेश में जनरल ईशाद राष्ट्रपति थे. जब उनका भ्रष्टाचार सामने आया तो उन्हें भी जेल जाना पड़ा. 2006 से 2008 तक कार्यवाहक सरकार के प्रमुख फखरूद्दीन अहमद ने दोनों — को भ्रष्टाचार के मामले में जेल भेज दिया था. 2008 में शेख हसीना की पार्टी ने चुनाव जीता तबसे वे सत्ता में बनी हुई हैं.

    प्रदर्शनों से दबाव डाल रहे विपक्ष की मांग है कि चुनाव कराया जाए. 2018 में खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के मामले में 10 वर्ष जेल की सजा हुई. उनका राजनीतिक करियर खत्म हो गया लेकिन उनकी पार्टी बीएनपी अब शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंकने में लगी हुई है. ऐसी स्थिति में बांग्लादेश में अस्थिरता बनी हुई है. भारत के लिए अपने पड़ोसी देशों बांग्लादेश, श्रीलंका व नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता बना रहना चिंताजनक है.